आखिर बार-बार क्यों आता है भूकंप, जानें वजह ?

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एक बार फिर भारत के लोग भूकंप के तेज झटकों से सहम गए है, बीती रात आए भूकंप ने देश की राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में तेज झटके महसूस किये गए. हालांकि, इस भूकंप के झटके में किसके हताहत होने की जानकारी नहीं मिली है, लेकिन लोग काफी सहम गए है. जानकारी के अनुसार, इस भूकंप का केन्द्र नेपाल रहा है. जहां इसी भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई है, साथ भूकंप में मारे 250 लोगों मौत की सूचना मिली है, वही बड़ी संख्या में लोग जख्मी बताए जा रहे है. यदि आप गौर करेगे तो आए दिन कही न कही भूकंप की खबरें मिलती है. ऐसे में बड़ा सवाल ये बार बार भूकंप आने की वजह क्या है ?

भूकंप की क्या है वजह

जब टैक्टोनिक प्लेट्स की जगह बदलती है धरती पर 12 टैक्टोनिक प्लेट होते हैं. भूकंप, दो प्लेट्स के टकराने पर उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का नाम है. हर साल, ये प्लेट्स अपनी जगह से चार से पांच मिमी खिसकती हैं और बहुत धीमी रफ्तार से घूमती हैं. ऐसे में, एक प्लेट किसी से दूर होती है और दूसरा किसी के नीचे से खिसकता है. प्लेट्स इस प्रक्रिया के दौरान टकराते हैं, जिससे भूकंप होता है.

भारत के ये इलाके हैं भूकंप जोन

यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत भी पिछले कुछ दशकों में भूकंपों का केंद्र बन गया है. एक अध्ययन के अनुसार, भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है और इसलिए देश को कई क्षेत्रों में बांटा गया है। जैसे क्षेत्र 1, क्षेत्र 2, क्षेत्र 3, क्षेत्र 4 और क्षेत्र 5 जोन-2, जो सबसे कम खतरा है, और जोन-5, जो सबसे अधिक खतरा है. वैसे इंडोनेशिया देश दुनिया में सबसे अधिक भूकंपों का शिकार होता है क्योंकि यह रिंग ऑफ फायर में है. इसी क्षेत्र में जावा और सुमात्रा भी हैं.

भारत में कौन-कौन से राज्य है प्रभावित

जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, कच्छ का रन उत्तराखंड में, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। भूकंप इस क्षेत्र में अक्सर होते रहते हैं. जोन-4 में दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, सिंधु-गंगा थाला, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिमी तट के निकट महाराष्ट्र और राजस्थान शामिल हैं. जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से भी शामिल हैं.

जोन-3 : इसमें केरल, बिहार, पश्चिमी राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश पूर्वी गुजरात और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा आता है.
जोन-2 : जोन-2 में राजस्थान, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा को शामिल किया गया है.
जोन-1 : भूकंप के लिहाज से सबसे कम खतरे वाले जोन यानि जोन-1 में पश्चिमी मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक पूर्वी महाराष्ट्र और उड़ीसा के हिस्से आते हैं.

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कैसे बनता है भूकंप का केन्द्र ?

भूकंप का केंद्र या फोकस धरती की सतह के नीचे है, जहां चट्टानें आपस में टकराती हैं या टूटती हैं. हाइपोसेंटर भी कहा जाता है. ऊर्जा कंपनों के रूप में इस केंद्र से फैलती है और भूकंप होता है. शांतिपूर्ण तालाब में पत्थर फेंकने से तरंगें फैलती हैं, ऐसा ही कंपन होता है.

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता ?

भूकंप का समय और तीव्रता बताने के लिए सिस्मोग्राफ का उपयोग होता है. इस मशीन ने पृथ्वी के अंदर होने वाली हलचल का ग्राफ बनाया है. इस सिस्मोग्राफ बताता है यह रिक्टर पैमाना का उपयोग करके भूकंप की तरंगों की तीव्रता, भूकंप का केंद्र और ऊर्जा का पता लगाता है. भूकंप के दौरान सिस्मोग्राफ के कुछ भाग नहीं हिलते, लेकिन दूसरे भाग हिलने लगते हैं. भूकंप की तीव्रता को रिकॉर्ड करने वाला भाग नहीं हिलता, इससे भूकंप की सटीक जानकारी मिलती है. सिस्मोमीटर एक मशीन है जो झटके मापता है.

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