लखनऊ के रहने वाले अभिषेक गुप्ता नाम के शख्स ने सीएम योगी के प्रमुख सचिव एसपी गोयल पर 25 लाख रुपए घूस लेने का आरोप लगाया था. जिसको लेकर राज्यपाल राम नाईक ने सीएम योगी को एक पत्र लिखकर मामले की निष्पक्षता से जांच करवाने के लिए कहा था. मामले की जांच तो नहीं शुरु हुई लेकिन उल्टा अभिषेक गुप्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से दर्ज करवाई गई एफआईआर के चंद घंटों बाद ही फुर्ती दिखाते हुए अभिषेक गुप्ता को हिरासत में ले लिया. फिलहाल सीएम योगी ने मुख्य सचिव राजीव कुमार को अभिषेक गुप्ता के हरदोई स्थित पेट्रोल पंप संबंधी मामले की निष्पक्ष औऱ तथ्यपूर्ण जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं.
बीजेपी ने क्यों करवाई एफआईआर?
भाजपा के नेताओं की मानें तो अभिषेक गुप्ता बीजेपी के प्रदेश संगठन के नेताओं का नाम लेकर कार्य कराने का दबाव बना रहा था. जिसको लेकर एसपी गोयल ने बीजेपी के प्रदेश कार्यालय प्रभारी भारत दीक्षित को इसकी जानकारी दी. जिसको लेकर पार्टी के पदाधिकारियों एसएसपी लखनऊ को पत्र लिखकर मामले में कार्रवाई और मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. अभिषेक गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के महज कुछ ही घंटों में पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.
30 अप्रैल को राज्यपाल ने सीएम योगी को लिखा था पत्र
मालूम हो कि अभिषेक गुप्ता ने मामले की शिकायत राज्यपाल राम नाईक से की थी. राज्यपाल ने मामले को लेकर सीएम योगी को एक पत्र 30 अप्रैल 2018 को लिखा. राज्यपाल ने पत्र लिखकर सीएम योगी से मामले की तथ्यपूर्ण और निषपक्षता से जांच कर कार्यवाही करने के लिए कहा था। राज्यपाल द्वारा लिखे गए पत्र को एक महीने से ज्यादा का समय गुजर चुका लेकिन उसपर सीएम योगी की तरफ से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. वीं दूसरी तरफ जब भाजपा ने अभिषेक गुप्ता के खिलाफ एफआईआर करवाई तो उसे पुलिस चंद घंटे बीते के बाद ही हिरासत में ले लिया. इस तरह की एकतरफा कार्रवाई से पता चलता है कि एक ब्युरोक्रेट को बचाने के लिए सरकार से लेकर पार्टी तक जुटी हुई है.
क्या है मामला ?
लखनऊ के इंदिरानगर के रहने वाले अभिषेक गुप्ता ने हरदोई जिले की संडीला तहसील केरैसो गांव में पेट्रोल पंप की स्थापना के लिए मुख्य मार्ग की चौड़ाई कम होने के कारण आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने की मांग की थी. उनका आवेदन नियमानुसार न होने के कारण खारिज कर दिया गया था. जिसको लेकर अभिषेक ने राज्यपाल से शिकायत की और कहा कि थी कि सीएम ऑफिस के एक अधिकारी (सीएम के प्रमुख सचिव) ने उनसे 25 लाख रुपये की मांग की थी. रिश्वत न देने पर उनके प्रत्यावेदन पर निर्णय नहीं लिया गया.
सिर्फ पूछताछ के लिए अभिषेक को बुलाया गया- एसएसपी दीपक कुमार
एसएसपी दीपक कुमार के मुताबिक भाजपा के पदाधिकारियों द्वारा अभिषेक गुप्ता के खिलाफ शिकायत की गई थी कि पार्टी के बड़े नेताओं का नाम लेकर काम करवाने का दबाव बनाया जा रहा था और पार्टी के पदाधिकारियों की छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही थी जिसके संबंध में अभिषेक गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया है.
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परिजनों ने कहा अभिषेक की जान को खतरा
परिजनों ने का कहना है कि अभिषेक को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है और उसकी जान को खतरा है इसलिए उसे सुरक्षा दी जाए. परिजनों का ये भी कहना है कि सुरक्षा यूपी पुलिस की न दी जाए. परिवारवालों की मानें तो अभिषेक ने किसी भी भाजपा नेता का नाम लेकर काम करने का दबाव नहीं बना रहा था ये सिर्फ साजिश के तहत उसे फंसाया जा रहा है.
अखिलेश यादव ने कहा मामले की हो सीबीआई जांच
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मामला सीएम ऑफिस तक पहुंचा है तो बड़ा ही होगा इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए. ताकि असलियत सबके सामने आए.
अमनमणि की शिकायत करने पर सीएम ने युवक को भगाया
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सीएम तक मामला पहुंचने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. बीते कुछ महीने पहले गोरखपुर में एक युवक अमनमणि की शिकायत करने सीएम योगी के पास पहुंचा था जिसको सीएम ने डांटकर भगा दिया था. युवक का कहना था कि अमनमणि ने उसकी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है. युवक की समस्या सुनने से पहले ही सीएम ने उसे जनता दरबार से बाहर भगा दिया था.