माता अन्नपूर्णा के दर्शन के लिये उमड़ी भारी भीड़, 5 दिन माई देंगी अपने स्वर्णमयी रूप का दर्शन

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वाराणसी : बाबा विश्वनाथ के आंगन में विराजमान मां अन्नपूर्णा अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरी करती हैं यही कारण है कि धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक श्रद्धालुओं का रेला माता के स्वर्णमयी रूप का दर्शन करने उमड़ता है.

शुक्रवार को सुबह से ही स्वर्णमयी अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। लंबी कतारें मंदिर के बाहर सड़क पर लगी बैरिकेडिंग के पास लगने लगी थी. मंदिर की ओर से श्रद्धालुओं के लिए नाश्ते और पानी का इंतजाम किया गया था। भक्तों की कतार बांसफाटक से गोदौलिया और दूसरी ओर विश्वनाथ मंदिर के गेट नम्बर चार के समीप दुकानों तक लगी हैं. भक्तगणों के परिसर में बनी अस्थायी सीढ़ी से होते हुए प्रथम तल पर विराजमान माता का दर्शन कर राम मंदिर से बाहर जाने की व्यवस्था की गई है.

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दर्शन से पहले ही भक्तों को माता के खजाने के रूप में लावा व सिक्के का प्रसाद मिल रहा है। दोपहर एक बजे से माता के दर्शन शुरू हो गये।

प्रसाद में मिलते हैं सिक्के, धान का लावा

महंत शंकर पुरी

महंत शंकर पुरी ने बताया कि धनतेरस पर लगभग पांच लाख से अधिक सिक्के (खजाना) और 11 क्विंटल लावा भक्तों में वितरण के लिए मंगाए गए हैं. मौजूदा समय मे वह मंदिर के आठवें महंत के रूप में स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन-पूजन की परम्परा का निर्वाह करेंगे. इस दिन पूजित खजाना सिक्के के रूप में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को दिया जाता है. काशीवासियों में इस प्रसाद का काफी महत्व है. मान्यता है कि माता के इस सिक्के को घर के भंडार में रखने से धन धान्य की कमी नहीं होती. माता के दरबार से मिले खजाने से श्रद्धालुओं के घर के अन्नभंडार हमेशा भरे रहते हैं.

महादेव से पहले मां अन्नपूर्णा का हुआ काशी आगमन
महंत शंकर पुरी ने बताया कि काशी में मां अन्नपूर्णा का वास भगवान विश्वनाथ के आगमन से पहले हो चुका था. मां अन्नपूर्णा का दर्शन तो भक्तों को नियमित मिलता हैं, लेकिन खास स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन प्रति वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक ही मिलता है . लेकिन इस बार माता पांच दिन भक्तों को दर्शन देंगी .

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