Earth Day 2021: नेट-जीरो एमिशन की ओर बढ़ चुका है भारत 

इस साल हम Earth Day की 51 वीं वर्षगांठ माना रहे है। ऐसे में हमें भारत को संज्ञान में लेते हुए ये समझने की ज़रूरत है कि आख़िर हमारा देश इस धरती के लिए कितना सजग है।

0

इस साल हम Earth Day की 51 वीं वर्षगांठ माना रहे है। ऐसे में हमें भारत को संज्ञान में लेते हुए ये समझने की ज़रूरत है कि आख़िर हमारा देश इस धरती के लिए कितना सजग है। भारत के सामने क्लाइमट से जुड़ी कई ऐसी विकट परेशनिया है जो देश को एक दलदल में ढकेलती दिख रही है। उत्तराखंड के जंगलों में आग लगी हुई है, बीते कुछ सालों से दक्षिण भारत में पानी से जुड़ी आपदाएं प्रभावी होती दिख रही है। ऐसी कई सारी परेशानियां है जो धीरेधीरे विकराल रूप लेती जा रही है। 

Earth Day

सामने खड़ी है भूगौलिक परेशानियाँ 

अब भारत का सामना नेटज़ीरो प्रतिबद्धता के साथ होना है। लेकिन नीति निर्माताओं, विचारकों, व्यवसायों, नागरिक समाज और शोधकर्ताओंसभी का इस पर विपरीत विचार है कि भारत को आवश्यकता या अनिवार्यता के रूप में क्या करना चाहिए।

असल में मामला ये है कि विकसित देशों में गिने जाने वाले देशों ने नेट जीरो एमिशन के लिए साल 2050 को अपनी समयसीमा बना ली है। समझना ये चाहिए कि भारत को अभी विकासशील देशों में गिना जाता है। ऐसी तमाम जरूरतें है जिसे अगर देश पूरा करता है तो वो शायद नेटज़ीरो वाले टारगेट को अचीव नहीं कर पाएगा। और इस तरह, भारत पे भूगौलिक राजनीति का दबाव पड़ रहा है। 

यह भी पढ़ें : पांच पॉइंट्स में मिलेगा क्लाइमेट चेंज का निचोड़…

Earth day पर जानिए नेटज़ीरो का क्या है मतलब?

इसे आसान तरीके से समझा जा सकता है। ऐसा समझिए कि धरती एक सिलेंडर है जिसमें हम ग्रीन हाउस गैसेस भरते जा रहे है। एक समय आएगा जब हम इसमें कुछ नहीं भर पाएँगे। 

धरती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। कार्बन एमिशन, ग्रीन हाउस गैसों की वजह से अब हम इसमें और एमिशन नहीं डाल सकते। अब उपाय सिर्फ़ दो है, या तो एमिशन कम किया जाए या फिर दोनों में बैलेंस बनाया जाए। जितना एमिशन हो उसका उतना भाग हम किसी तरह धरती से काम कर दे। 

आंकड़ों से देखिए सच्चाई 

आंकड़ों से साफ़ से होगा देश में काम करने का तरीक़ा। International Energy Agency के हिसाब से भारत में सोलर एनर्जी की कैपेसिटी में पाँच गुना वृद्धि हुई है। ऐसी आशा रखी गई है कि आने वाले सालों में सोलर, एनर्जी सेक्टर में सबसे आगे रहेगा।

इसके अलावा भारत सरकार गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों पर स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन के बढ़ते उपयोग और वायु प्रदूषण संबंधी बीमारी के बोझ को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

सरकारी आंकड़े इस पर ज़ोर देते है कि देश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहतक्लीन कुकिंग फ़्यूअलका इस्तेमाल 97 प्रतिशत से बढ़ा है जोकि 2014 मात्र 56 प्रतिशत रहा।

हालाँकि देश में कई हद तक काम किए गए है। लेकिन, नेटज़ीरो वाला टारगेट उतना आसान नहीं है जीतना वो समझ में आ रहा है। ज़ाहिर है कि हम फॉसिल फ्यूल से आगे बढ़कर क्लीन एनर्जी की तरफ़ आ चुके है। लेकिन, अभी रास्ता कठिन है। 

यह भी पढ़ें : Earth Day 2020 में क्या रहा ख़ास

नेटजीरो की नींव रख दी गई है  

भारत ने नेटजीरो एमिशन की नींव तो रख दी है। इस गोल को हासिल करने के लिए देश में यूथ को जगाना चाहिए और इसके बारे में जागरूक करना चाहिए। अपनी शिक्षा प्रणाली में Climate Change की मुख्य धारा को लेकर ग्रीन वर्क फ़ोर्स की तैयारी करनी चाहिए। 

[better-ads type=”banner” banner=”100781″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप डेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More