Earth Day 2020 में क्या रहा ख़ास

22 अप्रैल 1970 न्यू यॉर्क की सडकों पे 7000 लोगों की भीड़।

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22 अप्रैल 1970 न्यू यॉर्क की सडकों पे 7000 लोगों की भीड़। ये वही दिन था जिस दिन विश्व में पहली बार पृथ्वी को लेकर एक सार्वजनिक आवाज़ उठाई गई थी। Wisconsin के जूनियर सीनेटर (Gaylord Nelson) द्वारा शुरू किये गए इस अभियान में मुख्य रूप से कॉलेज के छात्रों का सहयोग रहा। हालांकि अमेरिका में शुरू किये गए इस अभियान का बड़ा कारण ‘Air Pollution’ और ‘Water Pollution’ था जोकि 1970 में अमेरिका की बड़ी मुसीबत बनती जा रही थी जिसे सरकार भी अनदेखा कर रही थी।

संगठित हुआ पहला Earth Day !-

इस अभियान से पहले भी कई सामाजिक टोलियां यूनाइटेड स्टेट्स में हो रहे एनवायर्नमेंटल डिस्ट्रक्शन को लेकर व्यक्तिगत तौर पर अपनी आवाज़ उठा रही थी। लेकिन दशकों बाद अमेरिका के इतिहास में ऐसा हुआ था जब सारे पर्यावरण चिंतक एक जूट होकर अमेरिका की सडकों को अपने विरोध का माध्यम बनाया था। आमिर-गरीब, छोटे-बड़े यहाँ तक की कई राजनेताओं ने भी इस अभियान को समर्थन दिया।

इस अभियान का नतीजा साफ़ रहा कि 1970 के अंत तक अमेरीकी कांग्रेस ने एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन के लिए यूनाइटेड स्टेट्स एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी गठित की और तमाम अधिनियम पास किये जैसे Clear Water Act, Occupational safety and health act। इन कानूनों ने लाखों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को बीमारी और मौत से बचाया है और सैकड़ों प्रजातियों को विलुप्त होने से अभय किया।

1990: Earth Day को ग्लोबल बनाया गया-

1990 के दशक में अर्थ डे को एक ग्लोबल आकर देने की कोशिश की गई थी। सफलतापूर्वक 141 देशों को संगठित किया गया जिसमे लगभग 20 करोड़ लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया गया। अर्थ डे 1990 ने दुनिया भर में रीसाइक्लिंग के प्रयासों को भारी बढ़ावा दिया और रियो डी जनेरियो में 1992 के संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी सम्मेलन के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

एक झलक अगर अर्थ डे की टाइमलाइन को दी जाए तो यह पता चलता है कि हर साल अर्थ डे के थीम ने दुनिया भर में एनवायर्नमेंटल अवेयरनेस बढ़ाई है समय के साथ तमाम सरकारी संसथान भी पर्यावरण के प्रति सशस्त होते हुए दिखे।

2020 के अर्थ डे में क्या रहा खास-

2020 में अर्थ डे की 50वीं एनिवर्सरी मनाई गई। अर्थ डे को दुनिया में सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष दिवस के रूप में मान्यता प्राप्त है जिसे हर साल एक अरब से अधिक लोगों को मानव व्यव्हार, पर्यावरण, नीतियों में बदलाव और ऐसे तमाम मुद्दों पर चिंतन करने के लिए चिन्हित किया गया है। बढ़ते परिवेश के साथ अभी भी लड़ाई जारी है क्योंकि क्लाइमेट चेंज की दरारें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

इस साल अर्थ डे का थीम क्लाइमेट एक्शन था। क्लाइमेट में लगातार हो रहे बदलाव के कारण लाइफ सपोर्ट सिस्टम को खतरा है। अर्थ डे ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, अब वक्त है कि विश्वभर के सभी नागरिक जलवायु संकट से निपटने के लिए आगे आएं और साथ में काम करें क्योंकि ऐसा न करने के कारण से लोगों का वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

इस बार के अर्थ डे में कई चीज़े खास भी मिली। चुकि पूरा विश्व कोरोना वायरस के चपेट में है इसिलए पहली बार आयोजकों ने इसे डिजिटल माधयमों से मनाया और साथ ही जीरो कार्बन फ्यूचर की और अपनी ताकत एकत्त्रित करने का फैसला किया।

तेल ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत-

जी हां अर्थ डे का फोकस इस बार थोड़ा अलग भी था क्योंकि climate action के साथ जीरो कार्बन फ्यूचर निति निर्माताओं को ज़रूरी लगी और आपको बता दे कि जीरो कॉर्बन फ्यूचर प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य पुरे इकोनॉमी को De-Carbonise करना है और साथ भी बड़ी कंपनियों को 100 प्रतिशत Renewable Energy सोर्सेज की और संगठित कर निवेश करने के लिए राज़ी करना है।

हमारी वैश्विक आबादी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और आज तक तेल ही ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है। लेकिन बढ़ती जागरूकता के साथ हम भविष्य में लोगों से अपेक्षाएं रखते है कि कई renewable सोर्सेज को अपनी ज़रूरतों का मध्याम बनाएं जिसका मतलब De-Carbonisation और ज़्यादा electrification। उद्देश्य निर्धारित है, अब यह हमारे लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से और कुशलता से पूरा करने का समय है।

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