50 हजार फर्जी छात्र नहीं दे पाएंगे बोर्ड एग्जाम
यूपी की योगी सरकार ने नक़ल फाफियाओ पर शिकंजा कस दिया है। 2018 में होने वाली बोर्ड परीक्षा में माध्यमिक शिक्षा परिषद ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करीब 50 हजार अभ्यर्थियो का आवेदन निरस्त कर दिया है। मामले में सीएम ने ऐसे प्रबंधकों और प्राचार्यों पर शिकंजा कसने और मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। 2018 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा से तकरीबन 50 हजार छात्र-छात्राओं को बाहर कर दिया गया है।
जनवरी मध्य से छात्र-छात्राओं को प्रवेश पत्र जारी होने हैं
यूपी बोर्ड ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर परीक्षा में शामिल होने की कोशिश कर रहे इन विद्यार्थियों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है। इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ, बरेली व गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय से मिली रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। बता दें कि 6 फरवरी से शुरू हो रही बोर्ड परीक्षा के लिए जनवरी मध्य से छात्र-छात्राओं को प्रवेश पत्र जारी होने हैं।
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केंद्र निर्धारण हो चुका है और अब परीक्षार्थियों को रोल नंबर एलॉट होना है। रोल नंबर देने से पहले बोर्ड ने प्राइवेट अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच करवाने के आदेश दिए थे। बड़ी संख्या में प्राइवेट अभ्यर्थियों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर रजिस्ट्रेशन कराया था। अब तक 50 हजार परीक्षार्थियों के पंजीकरण निरस्त किए जा चुके हैं। जांच की प्रक्रिया चल रही है इसलिए यह संख्या अभी और भी बढ़ सकती है। सीएम के निर्देश पर विभाग गंभीरता से जांच में जुटा है।
50 हजार फर्जी आवेदन निरस्त कर दिया है
पिछले साल मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी मिली थी। 25 से 30 हजार छात्र-छात्राओं को फर्जी दस्तावेज के आधार पर बोर्ड परीक्षा में शामिल करा दिया गया था। मामले की जानकारी पर बोर्ड ने जांच करवाई तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इसे गंभीरता से लेते हुए अभ्यर्थियों के अंकपत्र सह प्रमाणपत्र निरस्त कर दिए गए। निरस्तीकरण का आदेश वापस लेने के लिए बोर्ड पर काफी दबाव पड़ा। उस मामले से सबक लेते हुए सरकार और बोर्ड इस बार किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहता है। लिहाजा विभाग ने पहले ही जांच कर 50 हजार फर्जी आवेदन निरस्त कर दिया है।
(साभार-न्यूज18)