दिव्यांग हैं ये IAS अफसर, काम में गलती निकालो तो जानें

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सैकड़ों कर्मचारियों के प्रमोशन की राह आसान बनाने और स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम(SDMC) की रैंकिंग में सुधार पर काम करने वाले अमन गुप्ता आईआईएम ग्रैजुएट हैं। अमन एक लाइलाज मेडिकल कंडिशन के शिकार हैं, वह 90 फीसदी दृष्टिहीन हैं। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और निगम में 30 साल से लंबित पड़े नियुक्ति नियमों को अंतिम आकार दिया और सैकड़ों कर्मियों के प्रमोशन का रास्ता आसान बनाया।अमन गुप्ता AGMUT(अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम- केंद्रशासित प्रदेश) कैडर से 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और अमेरिकी विडियो मैग्निफायर की मदद से काम करते हैं। इसकी मदद से वह पढ़ पाते हैं।

अमन की बीमारी का नहीं कोई इलाज

अमन जिस मेडिकल कंडिशन से गुजर रहे हैं, उसे जूवेनाइल मैकुलर डीजेनरेशन कहा जाता है, जिसका कोई इलाज नहीं है। अमन की नजर अब इतनी कमजोर हो चुकी है कि वह फीचर्स के आधार पर लोगों को पहचान नहीं पाते। उऩके चेहरे पर दिखाई देती बड़ी-सी मुस्कान उनके दर्द को छिपा जाती है। अमन जब क्लास 12 में थे तब वह बाइक चलाया करते थे। शुरुआत में उन्हें कंप्यूटर का कर्सर दिखना बंद हुआ, उसके बाद उन्हें हवा में क्रिकेट बॉल दिखना बंद हो गई और कुछ ही दिनों बाद से क्लास के ब्लैकबोर्ड पर लिखे शब्दों को पढ़ पाना उनके लिए मुश्किल होता गया।

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साल 2002 में AIIMS ने बताया कि उन्हें जूवेनाइल मैकुलर डीजेनरेशन है, जिसके कारण कुछ ही वर्षों में उन्हें 90 फीसदी तक दिखाई देना बंद हो गया। दिल्ली में ही इस साल तनाव और बीमारी की वजह से दो नौकरशाह सूइसाइड कर चुके हैं, कम मार्क्स आने की वजह से कई छात्र अपना जीवन खत्म कर चुके हैं। ऐसे में अमन एक मिसाल हैं। उन्होंने जीवन को एक चुनौती समझा और सबके लिए एक उदाहरण पेश किया। अमन कहते हैं, ‘मैं 2012 की यूपीएससी की परीक्षा पास नहीं कर पाया, जिसके लिए मैंने ऑडियो बुक्स के जरिए तैयारी की थी।

अमन गुप्ता के साथ चालाकी करना महंगा पड़ जाता है

अगली बार मैंने और समय देना शुरू किया और जनरल कैटिगरी में मुझे 57वीं ऑल इंडिया रैंकिंग मिली।’ फिलहाल अमन के पास तीन महत्वपूर्ण पद हैं। अमन डायरेक्टर(पर्सनेल), अडिश्नल डायरेक्टर(एजुकेशन) और एसडीएमसी कमिश्नर का सचिव पद संभाल रहे हैं। इससे पहले वह डेप्युटी कमिश्नर(वेस्ट जोन) थे, जिससे पहले वह दिल्ली सरकार में चाणक्यपुरी के एसडीएम के पद पर थे। कुछ अधिकारियों ने बताया कि अमन गुप्ता के साथ चालाकी करना महंगा पड़ जाता है।

एसडीएमसी के टॉप अधिकारियों में से हैं

उन्होंने बताया कि जब अमन वेस्ट जोन में थे तब कई अधिकारी जानबूझकर मीटिंग हॉल से बाहर निकल जाते थे, लेकिन जब उन्हें पता चलता तो उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी हो जाता। जब अमन एसडीएमसी में नए थे, एक अधिकारी को अपमानित नहसूस हुआ। अमन ने बताया, ‘मैं देख नहीं पाया कि वह मुझसे हाथ मिलाना चाहते हैं, मैंने बाद में उनको बताया कि मैं 90% दृष्टिबाधित हूं।’ अमन विडियो मैग्निफायर की मदद से पढ़ते हैं, जिसमें 200% ज्यादा समय लगता है। फिर भी उनकी टेबल पर पेंडिंग काम कम दिखता है। कई बार उन्हें पानी का गिलास मंगाने के लिए बेल तक नजर नहीं आती, कभी वह पेन ढूंढते दिखते हैं, कभी मोबाइल फोन। इन सब परेशानियों के बावजूद वह एसडीएमसी के टॉप अधिकारियों में से हैं। एसडीएमसी कमिश्नर पुनीत कुमार गोयल कहते हैं कि अमन गुप्ता बेहद कुशल हैं।

(साभार-एनबीटी)

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