अमेजन जंगल में जिंदा मिले 4 बच्चे, 40 दिनों तक बच्चों को जंगल ने पाला, कुत्ता बना था साथी 

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‘जाको राखे सईंया मार सके ना कोय…’ ये कहावत कोलंबिया के अमेजन जंगल में जिंदा मिले इन बच्चों के लिए सटीक बठती है। कोलंबिया में 1 मई को हुए निजी विमान हादसे के 40 दिन बाद अमेजन के जंगलों में चार बच्चे जीवित पाए गए हैं। ये सभी बच्चें आपस में भाई-बहन हैं, हादसे के दौरान प्लेन में परिवार के साथ सवार थे। हादसे के बाद खबर आई थी कि विमान सवार सभी लोग मार चुके हैं। हैरत की बात ये है कि से चारों बच्चों 40 दिनों तक जंगल में घूमते रहें और फिर भी जिंदा हैं। जबकि इन बच्चों में एक की उम्र केवल 1 वर्ष है। ये किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा सकता है। 

 

शुक्रवार, 9जून को कोलंबिया के अमेजन जंगल में विमान हादसे के शिकार 4 बच्चें 40 दिन बाद सही-सलामत मिल गए हैं। सेना के जवानों ने चारों भाई-बहनों को जिंदा बरामद कर लिया है। इन चारों भाई-बहनों में एक बच्चे की उम्र 1 साल है, जबकि अन्य बच्चों की उम्र 13, 9 व 4 वर्ष है। बच्चों के जीवित मिलने की इस घटना को कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने ऐतिहासिक बताया है।

राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने कहा है, “उन्हें जंगल ने बचा लिया। वे जंगल के बच्चे हैं और कोलंबिया के भी बच्चे हैं।”

1 मई को विमान हादसे में गिरे थे 4 बच्चे

दरअसल, 1 मई 2023 को निजी विमान सेसना में सवार होकर एक ही परिवार के 7 लोग अराराकुआरा से सैन जोस डेल ग्वावियारे जा रहे थे। इस दौरान विमान के इंजन में खराबी हो गई और विमान हादसे का शिकार हो गया था। इंजन में खराबी की सूचना देने के कुछ समय बाद ही विमान राडार से बाहर हो गया था। हादसे के बाद जवानों की कई टुकड़ियों को विमान हादसे का पता लगाने किए लगाया गया था। करीब हादसे के 2 हफ्ते के बाद 16 मई को जवानों को विमान का मलवा मिला था। इसके बाद आधिकारिक घोषणा की गई थी कि हादसे में पायलट समेत 3 लोगों की मौत हो गई है। ऐसी जानकारी दी गई थी कि हादसे में मरने वालों में इन चार बच्चों की माँ और पायलट शामिल थे। लेकिन हादसे के बाद से ये चारों बच्चे लापता हो गए थे।

9 जून को अमेजन जंगल में जिंदा मिले चारों बच्चे

कोलंबिया सरकार और सेना ने इन बच्चों की तलाश के लिए ऑपरेशन होप शुरू किया था। बच्चों की तलाश के लिए शुरू किए रेस्क्यू ऑपरेशन में 150 सैनिकों, 200 वोलेंटियर के साथ ही 10 खोजी कुत्तों को अमेजन के जंगल में उतारा गया था। इस दौरान, सेना को घटना वाली जगह से करीब 500 मीटर की दूरी पर बच्चों के पैरों के निशान, फलों के टुकड़े व नैपकिन मिले थे। हालाँकि घने जंगल होने के चलते बच्चों की तलाश बेहद मुश्किल लग रही थी। ऐसे में सेना ने हेलिकॉप्टर से बच्चों की दादी की आवाज रिकॉर्ड कर एक मैसेज सुनाया था। इस मैसेज के जरिए सेना का प्रयास था कि बच्चे जहाँ हैं वहीं रुक जाएँ। हालाँकि बच्चे नहीं रुके। जब 9 जून को बच्चे मिले, तब वे अपने पैरों में पॉलीथिन लपेटकर आगे बढ़े जा रहे थे।

1 वर्षीय बच्चे को सेना ने पिलाया दूध 

शुक्रवार को जब सैनिकों को बच्चे मिलें तो वायु सेना ने एक हेलीकॉप्टर को बच्चों को खींचने के लिए लाइनों का उपयोग किया। क्योंकि घने जंगल में हेलीकॉप्टर को नहीं उतारा जा सकता था। ऑपरेशन कामयाब होते ही सेना ने चारों बच्चों को एक थर्मल कंबल में लपेट कर रखा। बच्चों के साथ सैनिकों और स्वयंसेवकों के एक समूह ने तस्वीर भी साझा की। तस्वीर में देखा गया है कि सैनिकों ने सबसे छोटे बच्चे को दूध की बोतल से दूध पिलाया था। ये दृश्य संजीवनी जैसा देखने में लग रहा था।

 

40 दिनों तक बच्चों को जंगल ने पाला

जंगल प्रकृति का एक खूबसूरत स्रोत है। यहां प्रकृति की गोद में हर किस्म के जीवों का पालन-पोषण होता है। सही भी है, इन बच्चों को भी वास्तव में जंगल ने ही संरक्षण दिया है। इनती छोटी उम्र में हादसे के 40 दिन बाद घने जंगल में इन बच्चों का जीवित रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है। महज 13, 9, 4 और एक वर्ष की उम्र में बिना संरक्षक व अभिभावक के ये बच्चे जिंदा भी हैं और स्वस्थ भी हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ये चमत्कार ही है।

फरीना खाकर जिंदा थे बच्चे

बच्चों के चाचा फिडेंशियो वालेंसिया ने बोगोटा में अस्पताल के बाहर संवाददाताओं से बात की। वालेंसिया ने कहा, “जब विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था हादसे के बाद बच्चे जंगल में गिर गए थे। वहां बच्चों ने एक फ़रीना निकाल लिया और इसको खाकर ही वो जिंदा रह पाएं हैं।” वालेंसिया ने आगे कहा, “फरीना खत्म होने के बाद, उन्होंने बीज खाना शुरू कर दिया था।” बता दें, फ़रीना एक कसावा का आटा है, जिसे लोग अमेज़न क्षेत्र में खाते हैं।

बच्चों के मन में बसी जंगल की सृमतियां 

वहीं, बच्चों की एक आंटी डमारिस मुकुटुय ने एक रेडियो स्टेशन को बताया कि पानी की कमी और कीड़े के काटने के बावजूद “बच्चे ठीक हैं”। उन्होंने कहा कि बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं भी दी जा रही हैं, जिससे उनके मन से जंगल की यादों को मिटाया जा सकें। लेकिन सामान्य तौर पर बच्चों की स्थिति ठीक है। बस बच्चों के मन में जंगल के तकलीफ भरे दिनों की कड़वी यादें बैठ गई हैं। जिसे निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

जंगल में खाने व पीने भर के लिए चल रही थी सांसें

कोलंबियाई इंस्टीट्यूट ऑफ फैमिली वेलफेयर के प्रमुख एस्ट्रिड कासेरेस ने कहा कि बच्चे जंगल में फल खाने में सक्षम थे, तभी जीवित रह पाएं। वहीं, बचाव के प्रयास के प्रभारी जनरल पेड्रो सांचेज ने कहा कि बचाव दल 20 से 50 मीटर (66 से 164 फीट) के भीतर से गुजरे थे, जहां बच्चे एक-दो मौकों पर पाए गए थे, लेकिन वे उन्हें पकड़ने में चूक जा रहे थे। क्योंकि बच्चे लगातार आगे की ओर बढ़ रहे थे। सांचेज़ ने कहा, “नाबालिग चारों बच्चों पहले से ही बहुत कमज़ोर थे और निश्चित रूप से उनकी ताकत केवल सांस लेने या खुद को खिलाने या जंगल में पानी की एक बूंद पीने के लिए ही चल रही थी।”

चारों बच्चों में बड़ी बहन थी समझदार

सैन्य अधिकारियों ने बच्चों में सबसे बड़ी लड़की के साहस की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जंगल में कैसे जीवित रहना है, बड़ी बच्ची को इसका कुछ ज्ञान था और इनी बच्चों ने बाकी बच्चों को संभाला। बड़ी बहन ने ही अपने छोटे भाई-बहनों को खाना और पानी पिला रही थी। जंगल के कठिन मार्ग उनके पैरों को ज्यादा तकलीफ न दें, इसके लिए बड़ी बहन ने पॉलीथीन भी ढूंढी। पॉलीथीन को पैरों में बांधकर ही ये बच्चे जंगल के कांटों भरे रास्ते पर 40 दिनोंं तक चलते रहें। बड़ी बहन ने अधिकारियों को ये भी बताया कि जंगल में उन्हें एक कुत्ता भी मिला था, जिसके साथ उन्होंने कुछ समय बिताया था। लेकिन बदा में वह कुत्ता गायब हो गया था।

बच्चों का  साथी बना था कुत्ता

खुद बच्चों ने अधिकारियों को बताया कि उन्होंने एक कुत्ते के साथ कुछ समय बिताया था, लेकिन बाद में वह गायब हो गया। अब शनिवार से सेना विल्सन नाम के बेल्जियन शेफर्ड कुत्ते की तलाश में है। शुक्रवार को बच्चों की खोज की घोषणा करने वाले राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने शनिवार को बोगोटा के अस्पताल में बच्चों से मुलाकात की। रक्षा मंत्री इवान वेलास्केज़ ने संवाददाताओं से कहा कि बच्चों को पानी पिलाया जा रहा है और वे अभी तक खाना नहीं खा पा रहें हैं।

 

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