अवैध मेंटल अस्पताल में बेड़ियों से जकड़े जाते थे मरीज, दी जाती थी यातनाएं

गाजीपुर जिले के जमानिया मेंटल अस्पताल में मरीज की मौत के बाद खुला राज

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यूपी के गाजीपुर जिले के जमानिया कोतवाली क्षेत्र में मदनपुरा रोड के किनारे अवैध तरीके से संचालित सहारा जन कल्याण मेंटल हॉस्पिटल (मानसिक चिकित्सालय) के संचालक पिता-पुत्र की गिरफ्तारी के बाद जांच आगे बढ़ी है. मरीजों को इलाज के नाम पर उन्हें यातनाएं देनेवाले संचालकों के कारनामे सुनकर लोग हैरान हैं. सबसे गंभीर बात यह कि करीब दस साल से यह अवैध अस्पताल चल रहा था और स्वास्थ्य महकमा बेखबर था ? यह अचरज की बात है. जबकि यह अवैध अस्पताल जमानिया सीएचसी और पीएचसी से तीन से छह किमी दूर है. बिहार तक के मरीज यहां इलाज के लिए आते थे और स्वास्थ्य विभाग की अनभिज्ञता संदिग्ध है.

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बिहार के कैमूर जिले के विकास की मौत के बाद हुआ खुलासा

इस अस्पताल में इलाज के नाम पर मोटी रकम की वसूली होती थी. कथित मरीजों के पैरों में लोहे की मोटी जंजीर बांधी जाती थी. मरीजों की मानें तो उन्हें डंडों से पीटा जाता था और कैदियों की तरह बंद कर दिया जाता था. मानसिक इलाज के नाम पर मरीजों को गैस की गोलियां दी जाती थीं. इस अमानीय और अवैध कारोबार का खुलासा तब हुआ जब रविवार को बिहार के युवा मरीज विकास कुमार की मौत हो गई. जमानियां स्टेशन के पास मदनपुरा गांव स्थित सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल में मृत मरीज विकास बिहार के कैमूर जिले के खामी देवरा गांव का निवासी था. परिजनों ने आरोप लगाया कि विकास कुमार की मौत उस समय हुई जब मरीज को जबरन जंजीर में बांधने का प्रयास किया जा रहा था.

संचालक पिता-पुत्र को पुलिस ने किया गिरफ्तार

इस मामले में परिजनों की ओर से थाने में तहरीर दी गई. मृतक के परिजन के अनुसार अस्पताल संचालक डॉ. विजय नारायन पाठक और उसके बेटे सुनील पाठक ने मरीज के दोनों हाथों पकड़ यि था और उसका सीना और गर्दन दबा रहे थे. उसे जंजीर से बांधने का प्रयास किया जा रहा था. गला दबाने से उसका दम घुटने लगा और हिचकियां लेने लगा. यह देख परिजन ने डायल 112 को सूचना दे दी. पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों के साथ विकास को पीएचसी ले गई लेकिन चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल संचालक उनके साथ भी अभद्रता करता था. तहरीर के अनुसार तथाकथित दो डॉक्टरों के मानसिक रोग के मरीज को जंजीर से बांधने के प्रयास के दौरान उसकी सांस रुकने से मौत हो गई. पुलिस ने सोमवार को मुख्य आरोपी विजय नारायण पाठक और उसके बेटे सुनील पाठक को जमानिया रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया गया.

दस साल से चल रहा था अस्पताल, फिर भी स्वास्थ्य महकमा अनजान?

वहीं इस अस्पताल में भर्ती छह मरीजों के पैरों की बेड़ियां खोल दी गईं और इनमें से चार को उनके परिवार के के साथ घर भेज दिया गया. जबकि दो मरीजों के परिवारों को बुलाया गया है. वहीं मरीज की मौत के बाद जब हंगामा मचने लगा तो स्वास्थ्य विभाग जागा. विभाग का दावा है पूरे गाजीपुर जिले में मेंटल हॉस्पिटल नहीं है. इसके साथ ही य प्रश्न खड़ा हो जाता है कि सीएचसी और पीएचसी के तीन से छह किमी के दायरे में यह अस्पताल दस साल से चल कैसे रहा था?

मरीजों को शटर के अंदर कमरों में रखा जाता था बंद

जांच के दौरान इस अस्पताल में कथित रूप से भर्ती छह मरीजों ने खुद को स्वस्थ बताया. कहाकि हमें दवा और खाना दिया जाता था. यदि कहीं कुछ गलत हो गया तो डंडों से पीटा जाता रहा. उन्हें एक शटर के अंदर कमरों में बंद रखा जाता था. इलाज के नाम पर गैस की दवा दी जाती थी. यहां करीब एक माह से भर्ती और बेड़ियों से जकड़े 21 वर्षीय विक्की को देखने बिहार से उसे पिता बिगाहूं राम आये थे. बताया कि नशे की तल छुड़ाने के लिए बेटे को यहां भर्ती कराया था. इलाज के लिए 78 हजार में बात हुई और छह हजार रूपये महीना खाने का अलग दिया जाता है. इस मामले में जमानिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ेक प्रभारी डा. रविरंजन ने बताया कि अस्पताल की जांच के दौरान गैस की दवा मिली है. लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा था. भर्ती मरीज और परिजनों की भी जांच होगी. कारण यह कि जिन्हें पागल बताया जा रहा है वह बातचीत में स्वस्थ्य दिख रहे हैं.

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