जी हां… 30 पैसे में एक किलो प्याज

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एक समय था जब महंगा होने पर केवल प्याज ने सरकार गिरा दी थी। देश में प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर हर बार हाहाकार मचता है और सरकारों पर इनका व्यापक प्रभाव भी पड़ता है। ये प्याज किसी का नहीं है। कभी ग्राहक को रुलाया तो कभी सरकार को और अब किसान को रुला रहा है।

मध्य प्रदेश के नीमच में प्याज के दाम इतने निचले स्तर पर आ गए हैं कि कोई यकीन नहीं करेगा। पिछले साल जहां प्याज की थोक कीमत 50 से 60 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई थी, वहीं इस साल प्याज केवल 20 पैसे प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है।

तब भी प्याज ने आम आदमी को रुलाया। किसानों को प्याज का उचित दाम नहीं मिला तो वे भी रोए। आज भी किसान रो रहे हैं। क्योंकि प्याज की थोक कीमत इतनी नीचे चली गई है कि उन्हें किसानी का खर्चा निकालना महंगा पड़ रहा है।

बताजा जा रहा है कि प्याज के दाम गिरने की मुख्य वजह अधिक मात्रा में फसल पैदा होना और दूसरी तरफ मांग में कमी होना भी है। थोक में प्याज के दाम इतने नीचे गिरने से किसानों को उनकी किसानी का खर्चा निकालना महंगा पड़ रहा है। नीमच में जो प्याज 30 से 50 पैसे प्रति किलो पर बेचा जा रहा वहीं कुछ सप्ताह पहले यही प्याज 20 से 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा था।

सीहोर, विदिशा, गंजबासौदा, भोपाल, खातेगांव, राजस्थान की सीमा से सटे नीमच, जावद, जीरन, जावरा आदि जगहों पर भी प्याज 25 से 50 पैसे प्रति किलो में बिक रहा है। इसके अलावा ब्यावरा, रायसेन जैसी कुछ जगहों पर तो 2 से 3 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है।

सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर

किसान इतने सस्ते दामों पर प्याज बेचने को भी मजबूर हैं, क्योंकि कोल्ड स्टोरेज न होने की वजह से प्याज के सड़ने का डर रहता है। वहीं व्यापारी किसानों की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर किसानों से सस्ते दामों पर प्याज खरीद लेते हैं। इसके बाद प्याज की कमी होने पर बाजार में प्याज उतारते हैं। जिसका उन्हें मन मुताबिक दाम मिलता है। अब हालत यह है कि फसल की जुताई, मजदूरी का पैसा निकालना तो दूर, प्याज को खेत से मंडी तक लाने की कीमत भी नहीं निकल पा रही।

 

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