कार्तिक पूर्णिमा : आज के दिन करें ये कार्य ताकि मिल सके मनमाफिक फल
हिंदू पौराणिक कथाओं में, कार्तिक पूर्णिमा का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. मान्यता यह है कि इस दिन कार्तिक स्नान और भगवान विष्णु की पूजा करन से भक्तों को प्रचुर भाग्य मिलता है.
क्यों मनाया जाता है
कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली भी मनाई जाती है. इस शुभ दिन सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, जिससे हमें उनका आर्शीवाद प्राप्त हो सके. कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कहा जाता है. इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा आज के दिन पड़ रही है. हिंदी शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा इस बार 27 नवंबर को मनाई जाएगी.
कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है, जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर धरती को मुक्त किया था. इसी कारण इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. इस शुभ दिन पर भक्त सत्यनारायण व्रत भी रखते हैं. इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है, जिससे पूरे साल का पुण्य मिलता है.
कार्तिक पूर्णिमा: कब से कब तक रहेगा संयोग
पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा 26 नवंबर 2023 को दोपहर 03.53 मिनट से 27 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 45 तक
रहेगी. कार्तिक पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग का संयोग बन रहा है. इसके साथ ही इस साल कार्तिक पूर्णिमा सोमवार को है. सोमवार के दिन पड़ने वाली पूर्णिमा बेहद पुण्यदायी मानी जाती है. इस दिन शिव की पूजा से चंद्र दोष और लक्ष्मी की उपासना से धन की परेशानियां दूर हो जाती है. वहीं इस दिन सूर्य और मंगल वृश्चिक राशि में होंगे.
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कार्तिक पूर्णिमा के दिन किन बातों का रखें ध्यान
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा में जाकर डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं. गंगा स्नान
संभव नहीं हो तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल मिला कर स्नान करें. स्नान के बाद मंदिर में दीपक जलाएं. भगवान विष्णु एवं माँ लक्ष्मी का स्मरण करें. पूजा में भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए भगवान विष्णु को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि अर्पित करें और भगवान विष्णु को भोग लगाएं.
ध्यान रखें कि भगवान विष्णु के भोग में तुलसी अवश्य डालें. इस दिन आसमान के नीचे सांयकाल के समय घर, मंदिर, पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करने से सुख की प्राप्ति होती है. गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात दीप दान करना चाहिए. रात के समय चंद्र देव की भी पूजा करनी चाहिए. चंद्रमा को अर्घ्य दें और चंद्रमा के मंत्रों का जाप करें. इस दिन गाय को भोजन भी अवश्य कराएं, दान कर्म भी करना चाहिए. इस दिन भगवान शिव की आराधना का महत्व होता है. शिवलिंग पर जल अर्पितकरने से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं