Varanasi: स्नान करते समय गंगा में डूबने से तीन युवकों की मौत…

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Varanasi: आदमपुर थाना क्षेत्र के रानी घाट पर गंगा स्नान करते समय तीन युवकों की डूबने से मौत हो गई. सभी युवक चंदौली के मुगलसराय के रहने वाले थे. काशी भ्रमण करते हुए सोमवार की देर रात वे रानी घाट पहुंचे थे. हादसे के समय कुल पांच युवक साथ गए थे, लेकिन तीन को डूबता देख अन्य दो लोग वहां से निकल भागे. घटना के बाद घाट पर मौजूद मल्लाहों ने सूचना पुलिस को दी. मंगलवार सुबह आदमपुर पुलिस ने एनडीआरएफ और निजी गोताखोरों की मदद से तीनों युवकों के शवों को बाहर निकाला और पांडेयपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय भेजा. वहीं घटना की जानकारी पाकर मृत युवकों के परिवार में कोहराम मच गया. सूचना के बाद परिजन अस्पताल पहुंचे और घर के लाडलों का शव देख वे मातम करने लगे.

इंस्पेक्टर वीरेंद्र ने दी ये जानकारी 

इंस्पेक्टर आदमपुर वीरेंद्र सोनकर ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद युवकों के शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा. मृतकों में लकी प्रसाद (17), सनी (19) और साहिल (18) निवासी हनुमानपुर डीडीयू नगर कोतवाली (मुगलसराय) शामिल हैं. घटना के वक्त उनके साथ दो अन्य साथी रितेश व सिट्टू भी मौजूद थे. अपने दोस्तों को डूबता देख दोनों मौके से घबरा कर भाग गए. रानी घाट पर मौजूद मल्लाहों ने बताया कि रात करीब 2 बजे कुछ युवक नहा रहे थे.

कुछ देर में ही एक युवक गहरे पानी में चला गया. जिसे बचाने के लिए उसके साथी आगे बढ़े तो वह भी डूबने लगे. एक के बाद एक कर तीनों गहरे पानी में समा गए. मल्लाहों ने रात में ही गोता लगाकर उनकी तलाश की, लेकिन अंधेरा होने के कारण युवकों का पता नहीं चला; राजघाट के मुकाबले रानी घाट, प्रह्लाद घाट, सक्का घाट, गोला घाट और त्रिलोचन घाट पर पानी ज्यादा गहरा है; जिसके कारण तैराकी नहीं जानने वालों की मौत हो जाती है. लकी, सनी और साहिल भी तैरना नहीं जानते थे.

साल 2023 में 26 की डूबने से मौत

दुनिया भर के सैलानियों को रिझाने वाले काशी के गंगा घाट में तुलसी और सिंधिया घाट सबसे खतरनाक हैं. घाट की बनावट की वजह से अस्सी से राजघाट के बीच डूबने वालों में सबसे ज्यादा संख्या इन्हीं दोनों घाट पर होती है. बीते छह साल में 2023 में सबसे कम 26 लोगों की मौत गंगा में डूबने से हुई, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 112 था. गंगा घाटों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण वर्ष 2018 से 2022 तक डूबकर मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा थी.

जल पुलिस और एनडीआरएफ की सतर्कता की वजह से वर्ष 2023 में यह आंकड़ा बेहद कम हो गया. हालांकि गंगा में स्नान करने वालों के गहरे पानी में जाने के साथ ही राजघाट और विश्वसुंदरी पुल पर रेलिंग नहीं होने की वजह से भी वहां से छलांग लगाने वालों की संख्या बरकरार है. सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रति वर्ष दोनों पुल से 15 से 20 मौतें हो रही हैं. वर्ष 2023 में गंगा में डूबने वाले 26 लोगों में 14 पुल से छलांग लगाने वाले हैं.

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अधिकारी बोले

जल पुलिस के साथ एनडीआरएफ और माझी समाज के सहयोग से गंगा में स्नान करने वालों की सुरक्षा को पुख्ता किया जा रहा है. वाटर एंबुलेंस और तेज रफ्तार नाव सहित अन्य संसाधन की वजह से सूचना के तत्काल बाद मदद के लिए पहुंच रहे हैं. हादसों के कम होने का एक बड़ा कारण यह भी है. – मिथिलेश यादव, प्रभारी, जल पुलिस

वर्ष गंगा में हुई मौत

2018 59
2019 73
2020 66
2021 78
2022 112
2023 26

 

 

 

 

 

 

 

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