सीएम योगी कर सकते हैं कैबिनेट के कई मंत्रियों का सफाया
योगी सरकार (Yogi government )करीब नौ महीने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी में जुटी है, जिसे लेकर मंत्रियों की नींद उड़ी हुई है। प्रदेश को विकास की राह पर लाने को कमर कस चुके योगी आदित्यनाथ नॉन परफार्मिंग मंत्री को अपने कैबिनेट से बाहर भी कर सकते हैं। इसके संकेत मिलने लगे हैं। इस फेरबदल में कई मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी हो सकती है और उनकी जगह कुछ नए चेहरे शामिल किए सकते हैं। दरअसल नीति आयोग के दिशानिर्देश पर योगी सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को स्मार्ट और जवाबदेह बनाने के लिए एक-दूसरे से जुड़े विभागों के विलय की तैयारी शुरू कर दी है। विलय के साथ ही कई महकमों के मंत्रियों का जिम्मा भी बदलेगा, जिसकी वजह से भी फेरबदल की गुंजाइश है। इस फेरबदल में काम की कसौटी पर खरा न उतरने वाले मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है।
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सीएम ने कई मंत्रियों के कामकाजों को परखा
विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 दिसंबर से शुरू होकर 22 दिसंबर को ख़त्म हो जाएगा। इस बीच गुजरात चुनाव के परिणाम भी आ जाएंगे। ऐसे में पार्टी और सरकार का पूरा ध्यान 2019 के लोकसभा चुनाव पर होगा। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मंत्रियों को दायित्व सौंपे जाएंगे। इसमें सामाजिक और भौगोलिक संतुलन का भी ध्यान रखा जाएगा। दरअसल 9 महीने के कार्यकाल में सीएम ने कई मंत्रियों के कामकाजों को भी परख लिया है। इसमें कई मंत्री फिसड्डी साबित हुए हैं, जिनकी छुट्टी तय मानी जा रही है। इसके अलावा कुछ मंत्रियों के दायित्वों में फेरबदल भी हो सकता है। कई मंत्रियों का प्रमोशन तो कुछ नए चेहरे भी शामिल हो सकते हैं।
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सभी विभागों को एक करने का फैसला
नीति आयोग की अपेक्षा के अनुरूप विभागों के विलय होने पर कार्य का स्वरूप भी बदलेगा। प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य से संबंधित सभी विभागों को एक करने का फैसला किया है। इसमें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा विभाग आशुतोष टंडन संभालते हैं। सभी विभाग एक साथ हो जाने पर एक मंत्री को ही दायित्व मिलेगा। ऐसे में किसी एक का समायोजन दूसरे विभाग में होना तय है। यह भी संभव है कि नये सिरे से तय होने वाले विभागों के अनुरूप पहले मंत्रियों को दायित्व सौंप दिया जाए और फिर उनका विलय किया जाए। निकाय चुनाव में अच्छी परफार्मेंस देने वाले मंत्री भाजपा और सीएम योगी आदित्यनाथ की निगाह में हैं। मूल्यांकन के आधार पर ओहदा घटाया-बढ़ाया जा सकता है।
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यह भी कहा जा रहा है कि नौ महीने के कार्यकाल में सीएम ने कई मंत्रियों के कामकाजों को भी परख लिया है। इसमें कई मंत्री फिसड्डी साबित हुए हैं, जिनकी छुट्टी तय मानी जा रही है। इसके अलावा कुछ मंत्रियों के दायित्वों में फेरबदल भी हो सकता है। कई मंत्रियों का प्रमोशन तो कुछ नए चेहरे भी शामिल हो सकते हैं।