दीवाली के पांच दिनी महोत्सव में धनतेरस के बाद दूसरे नंबर पर नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे रूप चतुर्दशी, नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि विधान से श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। वही इस दिन नरक की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय समाप्त करने के लिए शाम के समय यमराज की पूजा करने की भी मान्यता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां काली की पूजा अर्चना करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।
कब है नरक चतुर्दशी:
नरक चतुर्दशी का पावन पर्व धनतेरस के अगले दिन यानि छोटी दीपावली को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार नरक चतुर्दशी 3 नवंबर 2021, बुधवार को है।
शुभ मुहूर्त:
अमृत काल– 01:55 से 03:22 तक।
ब्रह्म मुहूर्त– 05:02 से 05:50 तक।
विजय मुहूर्त – दोपहर 01:33 से 02:17 तक।
गोधूलि मुहूर्त– शाम 05:05 से 05:29 तक।
संध्या मुहूर्त– शाम 05:16 से 06:33 तक।
निशिता मुहूर्त– रात्रि 11:16 से 12:07 तक।
पूजा पाठ के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय दोपहर 01 बजकर 33 मिनट से 02 बजकर 17 मिनट तक, विजय मुहूर्त में रहेगा।
नरक चतुर्दशी का महत्व:
नरक चौदस का पावन पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चौदस को मनाया जाता है। छोटी दीपावली के दिन घर के नरक यानी गंदगी को साफ किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जहां सुंदर और स्वच्छ प्रवास होता है, वहां लक्ष्मी जी अपने कुल के साथ आगमन करती हैं। वही इस दिन नरक की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय समाप्त करने के लिए शाम के समय यमराज की पूजा करने की भी मान्यता है।
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