चैत्रनवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पूजा विधि व महत्व
चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है. दूसरे दिन में माता ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है. इनके अन्य नाम तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा हैं. माता की पूजा करने से व्यक्ति के सभी काम पूरे होते हैं, कार्यों में आ रही रुकावटें, बाधाएं दूर हो जाती हैं और विजय की प्राप्ति होती है. इसके अलावा माता के आशीर्वाद हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं. देवी ब्रह्मचारिणी के भक्तों में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. आइए जानते हैं कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि क्या है.
मां ब्रह्मचारिणी पूजन विधि…
नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें. मां की पूजा के लिए पीले या सफेद वस्त्र ही धारण करें. उसके बाद शांत और सच्चे मन से माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करें. पूजा में सबसे पहले माता को दूध, दही, घी, इत्र, और शहद आदि से स्नान कराएं. इसके बाद माता को फल, फूल अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, चंदन, मिश्री, पान, सुपारी, लौंग, ईलायची इत्यादि अर्पित कर दें. देवी ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने हुए मिष्टान बेहद प्रिय है , इसीलिए माता को दूध और दूध से बनी चीज का भोग अवश्य लगाएं. साथ ही मां को सफेद वस्तुएं जैसे- मिसरी, शक्कर या पंचामृत भी जरूर अर्पित करें. हाथ में एक लाल फूल लेकर मां ब्रह्मचारिणी के लिए “ॐ ऐं नमः” मंत्र का जाप करें. इसके बाद देवी ब्रह्मचारिणी की आरती करें. जिन लोगों ने नौ दिन के व्रत रखें हैं, वो वो लोग पूजा के बाद फलहार करें.
नवरात्रि के दूसरे दिन करें ये उपाय…
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों के साथ चंद्रमा के मंत्रों का जाप करना बहुत उत्तम माना जाता है. इस दिन माता को चांदी की वस्तु भी अर्पित की जाती हैं. इस दिन शिक्षा या ज्ञान के लिए आप मां सरस्वती की भी पूजा कर सकते हैं. भोग लगाने के बाद घर के सभी सदस्यों को दें. ऐसा करने से घर के सभी सदस्यों को लंबी आयु का वरदान मिलता है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाएं.
मां ब्रह्मचारिणी का महत्व…
मां ब्रह्मचारिणी एक तपस्वी देवी हैं. चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी अवतार की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. माना जाता है कि जो कोई भी भक्त एकाग्र मन से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है उसे मां का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है. मां ब्रह्मचारिणी ने सफेद वस्त्र धारण किए हैं और उनके दाहिने हाथ में एक जप माला है और बाएं हाथ में कमंडल स्थापित है. वह विश्वसनीयता और ज्ञान का प्रतीक हैं. इसके साथ ही मां ब्रह्मचारिणी प्रेम का सार भी हैं.
मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ काफी खास होता है. दरअसल ब्रह्मा का अर्थ है तपस्या और चारणी का अर्थ है आचरण. जिसका मतलब हुआ कि यह देवी एक तपस्या की देवी हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम की वृद्धि होती है. इसके अलावा देवी की पूजा करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है जिससे वह बिना घबराए जीवन की समस्त चुनौतियों का सामना कर सकता है.
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