क्रूर तालिबान का दिलेरी से सामना कर रहीं महिलाएं, बोलीं- नहीं करने देंगे अपनी संस्कृति पर कब्ज़ा

अफगानिस्तान में सत्ता आने के बाद जिस क्रूरता और दहशतगर्दी के लिए तालिबान जाना जाता है, एक वैसा ही सच अब दुनिया के सामने आने लगा है।

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अफगानिस्तान में सत्ता आने के बाद जिस क्रूरता और दहशतगर्दी के लिए तालिबान जाना जाता है, एक वैसा ही सच अब दुनिया के सामने आने लगा है। अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद तालिबान महिलाओं के उपर एक बार फिर से पाबंदी लगाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अफगानिस्तान की महिलाएं इस बार तालिबान का दिलेरी से सामना कर रहीं हैं। महिलाएं अपने अधिकारों के लिए सोशल मीडिया के जरिए ऑनलाइन कैंपेन चलाकर क्रूर तालिबान से लोहा ले रही हैं।

अफगानिस्तान की अमेरिकन यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर डॉक्टर बहार जलाली ने एक कैंपेन की शुरुआत की है। डॉक्टर बहार जलाली ने कलरफुल अफगान पारंपरिक पोशाक में तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट कर कहा कि ये अफगानिस्तान की असली संस्कृति है।

डॉक्टर बहार जलाली ने लिखा है कि यह अफगानिस्तान के एक अलग हिस्से से एक और पारंपरिक अफगान पोशाक है। जो लोग हमें मिटाना चाहते हैं, उन्हें हम अपनी संस्कृति पर कब्जा नहीं करने देंगे

तहमीना अजीज नाम की महिला ने कहा कि मैंने काबुल में पारंपरिक अफगानी पोशाक पहनी हुई है। यह अफ़ग़ान संस्कृति है और इसी तरह से अफ़ग़ान महिलाएं कपड़े पहनती हैं।

https://twitter.com/tamana_nasir/status/1437598155567075330?s=20

बता दें की महिलाओं के प्रति तालिबान का रवैया काफी पाखंड से भरा रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने के लिए लड़ाके कुछ भी करने को तैयार हैं। यहां महिलाओं के खिलाफ तालिबान का रवैया दिन पर दिन बिगड़ता ही जा रहा है।

 

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