ट्विटर के रण में दो वरिष्ठ पत्रकारों के बीच क्यों जारी है जंग?
भारत। ‘कम्युनिकेशन’, मीडियम, भाषा पर चर्चा ऐसी चीज है जिसे आप ‘गरिष्ठ’ मानकर बच सकते हैं कि ‘छोड़ो इसमें क्या रखा है’. लेकिन देश के दो वरिष्ठ पत्रकार सोशल मीडिया पर बड़े ही मजेदार अंदाज में एक दूसरे की चुटकी लेते हुए भाषा पर चर्चा करते आ रहे हैं.
ये सिलसिला पिछले कुछ दिनों से चल रहा है. ये दो पत्रकार हैं- टीवी 9 ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा एवं पत्रकार, भारतीय भाषाओं के एक्टिविस्ट और सम्यक फॉउंडेशन के ट्रस्टी राहुल देव.
आइए आपको दिखाते-पढ़ाते हैं इन दोनों के बीच हिंदी भाषा को लेकर छिड़े इस शास्त्रार्थ की झलक- पहले देखिये राहुल देव ने किस खबर पर टीका-टिप्पणी की, फिर देखिये हेमंत शर्मा ने क्या तर्क पेश किया.
@Nai_Duniaहम हिंदी के लोग आपके द्वारा इस हिंदी-हत्या पर बेहद आहत और क्रुद्ध हैं। इसकी घोर निंदा करते हैं। हिंदी समाज से क्षमा माँगिए, इसे बंद करिए, अच्छी हिंदी का प्रयोग करने का वादा दीजिए। हिंदी के रक्षक बनिए भक्षक नहीं। अपने गौरवपूर्ण इतिहास को याद कीजिए। हिंदी का गौरव बनिए। pic.twitter.com/NsIm9O8UM4
— राहुल देव Rahul Dev (@rahuldev2) March 10, 2021
श्लाघनीय, जघन्य, फादरणीय –
दरअसल इन शब्दों पर ट्विटर की कोर्ट में जो बहस छिड़ी है उसमें कई दिग्गजों के नामों को भी आधार बनाया जा रहा है. पत्रकारिता के प्रकाश स्तंभ बताकर प्रभाष जोशी के नाम पर भी दोनों वरिष्ठ पत्रकार अपना-अपना तर्क पेश कर रहे हैं.
इस बीच हेमंत शर्मा ने एक शब्द भी सुझाया है ‘फादरणीय’. सनद रहे बहस समाचार एवं आम बोलचाल की भाषा में हिंदी की शुद्धता पर आधारित है.
अरे श्लाघनीय तो आपने लिखा भी नहीं था, सुरेश पंत जी की बात पर किन्हीं सज्जन ने इसका प्रयोग किया, जिस पर मैंने टिप्पणी की। आपके लिए तो मैंने ये टिप्पणी बिलकुल नहीं की थी @rahuldev2 जी। इस ग़लतफ़हमी के कारण आप आहत हुए। क्षमा कीजिए। https://t.co/WQvzaiPwiu
— RajeshJoshi (@RajeshJoshi) April 5, 2021
उससे विद्वता नहीं टपकती।श्लाघनीय के तर्ज़ पर एक शब्द है फादरणीय। यानी पितातुल्य। फादरणीय से विद्वता चूती है। https://t.co/hHq9cuCltY
— Hemant Sharma (@hemantsharma360) April 5, 2021
फिर चूहा-बिल्ली, ब्लॉक –
हिंदी की महत्ता पर पत्रकारद्वय के बीच चल रहे ट्विटर रण में तत्पर दोनों के बीच मैदान छोड़ने, न छोड़ने पर भी व्यंग बाण चले. हालांकि इस बीच सलाह देने के चक्कर में हेमंत शर्मा ‘ब्लॉक’ शब्द लिखने में अशुद्धि जरूर कर बैठे.
आप जैसे हिन्दीयोद्धा को’ब्लाक’ लिखते देख अवसाद होता है।हिन्दी का शब्द लेआईए।संवाद कभी रण नहीं हो सकता।जहॉं संवाद ख़त्म होता है वहॉं रण शुरू होता है।कौन योध्दा कौन रणछोड़? हमसब रंगमंच की कठपुतलियॉं है संपादकजी जिसकी डोर उपर वाले के हाथ में।कब कौन योध्दा गिरेगा कौन उठेगा।किसे पता। https://t.co/jjcI7zEm26
— Hemant Sharma (@hemantsharma360) April 3, 2021
यह वैराग्य ठीक नहीं है तात! दुष्टो की परवाह किए बिना कर्मक्षेत्र में डटे रहें।कहते है “न विडालो भवेद् यत्र तत्र क्रिडन्ति मूषका:” जहॉं बिल्ली नहीं होती वहॉं चूहे खेलते है।हे मुनिवर, चूहों के लिए मैदान न छोड़ें। https://t.co/Dwf42K9FCG
— Hemant Sharma (@hemantsharma360) April 3, 2021
प्याज-ब्याज और निर्मलाजी –
भाषा की सजगता पर आधारित एक अन्य चर्चा में राहुल देव को ट्विटर यूजर्स ने उनकी सहनशीलता के लिए उत्कृष्ट करार दिया। इस बीच हेमंत शर्मा @YRDeshmukh और @PushpeshPant के पते का उल्लेख करते हुए सब देखने, समझने की ताकीद देकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्याज एवं ब्याज के रेट का हवाला देते हुए तंज कसने से नहीं चूके.
सब देखिए।सब समझिए।भाषा के प्रति सजग रहिए।नहीं तो अनर्थ होगा।निर्मलाजी से सजगता छूटी और समस्या खड़ी हुई।परसों उन्होंने अपने सहायक से चुनाव को देखते हुए प्याज़ के रेट कम करने को कहा और उसने ब्याज के रेट कम करने का आदेश निकाल दिया।सावधानी हटी दुर्घटना घटी।@YRDeshmukh @PushpeshPant https://t.co/LkWvNUD0kJ
— Hemant Sharma (@hemantsharma360) April 2, 2021
भांग पर चर्चा –
बात छिड़ी थी होली पर जिसमें राहुल देव ने अंग्रेजी भाषा में होली का शुभकामना संदेश ट्वीट किया था. बात होली की थी तो हेमंत शर्मा भी कहां चूकने वाले थे. ट्वीट अंग्रेजी में देख उन्होंने भांग की आड़ में देव के हिंदी समर्थन की राग आलाप दी.
आज लगता है आपने सुबह सुबह भॉंग खा ली।एक दम पलट गए।होली की बधाई अंग्रेज़ी में।क्या हिन्दी में इन विचारों को व्यक्त करने का सामर्थ्य नहीं है। होली है …… https://t.co/3IKHjI3Ppc
— Hemant Sharma (@hemantsharma360) March 28, 2021
क्या हिंदी में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल सही नहीं है?
सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने एक दैनिक अखबार का स्क्रीन शॉट ट्विटर पर जारी कर उसके शीर्षक पर सवाल उठाया था.
@Nai_Duniaहम हिंदी के लोग आपके द्वारा इस हिंदी-हत्या पर बेहद आहत और क्रुद्ध हैं। इसकी घोर निंदा करते हैं। हिंदी समाज से क्षमा माँगिए, इसे बंद करिए, अच्छी हिंदी का प्रयोग करने का वादा दीजिए। हिंदी के रक्षक बनिए भक्षक नहीं। अपने गौरवपूर्ण इतिहास को याद कीजिए। हिंदी का गौरव बनिए। pic.twitter.com/NsIm9O8UM4
— राहुल देव Rahul Dev (@rahuldev2) March 10, 2021
हिंदी की आत्मा की रक्षा के पक्षधर देव ने शीर्षक “क्वालिटी सर्कल में स्टूडेंट्स कर रहे स्किल डेवलपमेंट” शीर्षक की खबर में शामिल अंग्रेजी शब्दों पर जितने सर्कल बनाए हैं उसका ब्यौरा भी उन्होंने प्रस्तुत कर दिया.
फिर चला निंदा और मंथन का दौर –
वरिष्ठ पत्रकार का यह खोजी सवाल जब ट्विटर की कोर्ट में पेश हुआ तो ट्विटरातियों ने भी अपना-अपना बयान झठ जारी कर दिया. किसी ने इस हत्या को जघन्य माना तो किसी ने राहुल देव के सम्मान में खरी-खोटी लिख दी. पढ़ना चाहें तो लिंक को नीचे स्क्रोल करते हुए पढ़ते जाएं कि किसने क्या कहा, हालांकि यह कुछ विशेष कमेंट इस तरह रहे जिन्हें आप पढ़ना चाहेंगे
आपने जिस हैंडल को टैग किया हैं उसका परिचय देख लीजिए, महान लोगो ने क्या लिखा हैं।
ये तो हालात हैं हिंदी भाषा के। #FacePalm pic.twitter.com/xvQyPMNjpK— Aman (@aman_mishra23) March 12, 2021
इतनी अच्छी अंग्रेजी समझने वाला हिंदी का अखबार क्यों पढ़ेगा भाई. समस्या पाठक वर्ग के साथ जितनी है उससे ज्यादा लिक्खाड़ पत्रकार महोदय की है। अंग्रेजी पत्रकारिता कर नहीं सकते ,हिंदी भी आती नहीं। इसलिए मालिकों- मैनेजरों को नया पाठ पढ़ाया है. इसी से रोजी रोजगार चलता रहेगा.
— Akhilesh tiwari (@Akhilesh_t20) March 11, 2021
हिंदी भाषा के संदर्भ में कहा जाता है कि यह वर्तमान में बोलचाल में प्रचलित शब्दों को अपने शब्दकोष में ग्रहण कर लेती हैं यही गुण इस भाषा को महान बनाता है पहले भी अंग्रेजी अरबी, फ़ारसी से बहुत शब्द हिंदी शब्दकोष में जुड़े हैं । फिर ये हंगामा क्यों है बरपा !
— 🙏Alvaro Morte🙏 (@A_pant) March 10, 2021
विशाल ह्रदय वाले –
कुछ उदारमन भी हैं जो हिंदी को विशाल ह्रदय का मानते हैं उनका मानना है कि सर्व भाषाओं को स्वीकारने की विशेषता ही हिंदी को बृहद स्वरूप प्रदान करती है. सौजन्य- ट्विटर –
It's not fault of newspaper. They write what common people understand. If they write pure hindi, their readers may not understand. English words are part of our daily conversation.
— Harpreet Singh (@Harpreet31385) March 11, 2021
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