ट्विटर के रण में दो वरिष्ठ पत्रकारों के बीच क्यों जारी है जंग?

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भारत। ‘कम्युनिकेशन’, मीडियम, भाषा पर चर्चा ऐसी चीज है जिसे आप ‘गरिष्ठ’ मानकर बच सकते हैं कि ‘छोड़ो इसमें क्या रखा है’. लेकिन देश के दो वरिष्ठ पत्रकार सोशल मीडिया पर बड़े ही मजेदार अंदाज में एक दूसरे की चुटकी लेते हुए भाषा पर चर्चा करते आ रहे हैं.

ये सिलसिला पिछले कुछ दिनों से चल रहा है. ये दो पत्रकार हैं- टीवी 9 ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा एवं पत्रकार, भारतीय भाषाओं के एक्टिविस्ट और सम्यक फॉउंडेशन के ट्रस्टी राहुल देव.

आइए आपको दिखाते-पढ़ाते हैं इन दोनों के बीच हिंदी भाषा को लेकर छिड़े इस शास्त्रार्थ की झलक- पहले देखिये राहुल देव ने किस खबर पर टीका-टिप्पणी की, फिर देखिये हेमंत शर्मा ने क्या तर्क पेश किया.

श्लाघनीय, जघन्य, फादरणीय –

दरअसल इन शब्दों पर ट्विटर की कोर्ट में जो बहस छिड़ी है उसमें कई दिग्गजों के नामों को भी आधार बनाया जा रहा है. पत्रकारिता के प्रकाश स्तंभ बताकर प्रभाष जोशी के नाम पर भी दोनों वरिष्ठ पत्रकार अपना-अपना तर्क पेश कर रहे हैं.
इस बीच हेमंत शर्मा ने एक शब्द भी सुझाया है ‘फादरणीय’. सनद रहे बहस समाचार एवं आम बोलचाल की भाषा में हिंदी की शुद्धता पर आधारित है.

फिर चूहा-बिल्ली, ब्लॉक –

हिंदी की महत्ता पर पत्रकारद्वय के बीच चल रहे ट्विटर रण में तत्पर दोनों के बीच मैदान छोड़ने, न छोड़ने पर भी व्यंग बाण चले. हालांकि इस बीच सलाह देने के चक्कर में हेमंत शर्मा ‘ब्लॉक’ शब्द लिखने में अशुद्धि जरूर कर बैठे.

प्याज-ब्याज और निर्मलाजी –

भाषा की सजगता पर आधारित एक अन्य चर्चा में राहुल देव को ट्विटर यूजर्स ने उनकी सहनशीलता के लिए उत्कृष्ट करार दिया। इस बीच हेमंत शर्मा @YRDeshmukh और @PushpeshPant के पते का उल्लेख करते हुए सब देखने, समझने की ताकीद देकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्याज एवं ब्याज के रेट का हवाला देते हुए तंज कसने से नहीं चूके.

भांग पर चर्चा –

बात छिड़ी थी होली पर जिसमें राहुल देव ने अंग्रेजी भाषा में होली का शुभकामना संदेश ट्वीट किया था. बात होली की थी तो हेमंत शर्मा भी कहां चूकने वाले थे. ट्वीट अंग्रेजी में देख उन्होंने भांग की आड़ में देव के हिंदी समर्थन की राग आलाप दी.

क्या हिंदी में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल सही नहीं है?

सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने एक दैनिक अखबार का स्क्रीन शॉट ट्विटर पर जारी कर उसके शीर्षक पर सवाल उठाया था.

हिंदी की आत्मा की रक्षा के पक्षधर देव ने शीर्षक “क्वालिटी सर्कल में स्टूडेंट्स कर रहे स्किल डेवलपमेंट” शीर्षक की खबर में शामिल अंग्रेजी शब्दों पर जितने सर्कल बनाए हैं उसका ब्यौरा भी उन्होंने प्रस्तुत कर दिया.

फिर चला निंदा और मंथन का दौर –

वरिष्ठ पत्रकार का यह खोजी सवाल जब ट्विटर की कोर्ट में पेश हुआ तो ट्विटरातियों ने भी अपना-अपना बयान झठ जारी कर दिया. किसी ने इस हत्या को जघन्य माना तो किसी ने राहुल देव के सम्मान में खरी-खोटी लिख दी. पढ़ना चाहें तो लिंक को नीचे स्क्रोल करते हुए पढ़ते जाएं कि किसने क्या कहा, हालांकि यह कुछ विशेष कमेंट इस तरह रहे जिन्हें आप पढ़ना चाहेंगे

विशाल ह्रदय वाले –

कुछ उदारमन भी हैं जो हिंदी को विशाल ह्रदय का मानते हैं उनका मानना है कि सर्व भाषाओं को स्वीकारने की विशेषता ही हिंदी को बृहद स्वरूप प्रदान करती है. सौजन्य- ट्विटर –

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