हर साल 21 अक्टूबर को क्यों मनाया जाता है पुलिस स्मृति दिवस? जानें क्या है कारण…
Police Commemoration Day 2024: देश में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस (Police Commemoration Day ) मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन को मानाने की शुरुआत सर्वप्रथम 1960 में हुई थी तब से यह हर वर्ष इसी दिन मनाया जाता है. इस दिन देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए शहीद हुए पुलिस वालों की शहादत को याद किया जाता है और उन्हें मान सम्मान दिया जाता है.
कब हुई थी इस दिन की शुरुआत…
बता दें कि तिब्बत में चीन के साथ भारत की 2500 मील लंबी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत के पुलिस कर्मियों की तीन बटालियन पर थी. पहले दो बटालियन अपनी गश्त पूरी करके वापस आ गई लेकिन तीसरी बटालियन वापस नहीं लौटी. उत्तर-पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स इलाके में तैनात इन पुलिस कर्मियों की टुकड़ी पर चीनी सेना ने घात लगाकर हमला कर दिया. इसमें हमारे 10 जवान शहीद हो गए वहीं 7 जवान घायल हो गए.
21 अक्टूबर 1959 को हुई शुरुआत …
गौरतलब है कि पुलिस स्मृति दिवस की शुरुआत 21 अक्टूबर 1959 को हुई थी. इस दिन चीन के साथ सीमा पर तैनात भारतीय पुलिस कर्मियों पर एक हमला हुआ था, जिसमें कई पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस घटना ने पुलिस बल की शहादत को याद करने की परंपरा की नींव रखी.
क्या है इस दिन को मनाने का उद्देश्य ?
इस दिन का मुख्य उद्देश्य पुलिस बल के प्रति सम्मान प्रकट करना और उनकी सेवा को सराहना है. साथ ही, यह समाज में सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. यह दिन लोगों को यह याद दिलाता है कि सुरक्षा के लिए पुलिस बल का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है.
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नई दिल्ली में बना राष्ट्रीय पुलिस स्मारक
इतना ही नहीं पुलिसकर्मियों के बलिदान और राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने में उनकी सर्वोच्च भूमिका के सम्मान में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस स्मृति दिवस -2018 पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली को राष्ट्र को समर्पित किया था. स्मारक पुलिस बलों को राष्ट्रीय पहचान, गौरव, उद्देश्य की एकता, साझा इतिहास और नियति का बोध कराता है, साथ ही अपने जीवन की कीमत पर भी राष्ट्र की रक्षा करने की उनकी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है.
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राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में एक प्रतिमा, ‘वीरता की दीवार’ और एक संग्रहालय शामिल है. 30 फीट ऊंची ग्रेनाइट की एक अखंड प्रतिमा पुलिस कर्मियों की ताकत, लचीलापन और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है. वीरता की दीवार जिस पर शहीदों के नाम लिखे हैं, उनपर पुलिसकर्मियों की बहादुरी और बलिदान की दृढ़ स्वीकृति के रूप में खड़ी है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद से ड्यूटी की राह में अपने प्राणों की आहुति दी है. यह स्मारक सोमवार को छोड़कर सभी दिनों में जनता के लिए खुला रहता है.