Manikarnika Ghat को क्यों कहा जाता है महाश्मशान?
क्या है इसका रहस्य...
Manikarnika Ghat: भारतीय सांस्कृतिक विरासत में वाराणसी शहर का महत्व अत्यधिक है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भारतीय समाज के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. वाराणसी का प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट इसके अभिन्न हिस्से के रूप में एक अद्वितीय स्थल है, जिसे ‘ महाश्मशान ‘ के नाम से जाना जाता है. यहां पर हम जानेंगे कि वाराणसी के मणिकर्णिका घाट को महाश्मशान क्यों कहा जाता है.
कैसे पड़ा मणिकर्णिका घाट का नाम
मणिकर्णिका घाट, वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र स्थलों में से एक है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी रखता है. इस घाट का नाम ‘मणिकर्णिका’ संस्कृत के शब्दों से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘मणि’ (रत्न) और ‘कर्णिका’ (कुंभ). इसे महाश्मशान कहा जाता है क्योंकि यहां पर भारतीय संस्कृति के अनुसार मृतकों का अंतिम संस्कार सम्पन्न होता है.
क्यों कहते हैं इसे महाश्मशान?
मणिकर्णिका घाट पर संस्कृति की एक अद्वितीय परंपरा चली आ रही है, जिसमें लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए यहां आते हैं. विशेष रूप से, हिन्दू धर्म के अनुयायी इसलिए यहां आकर अपने प्रिय के शव को जलाते हैं ताकि उनकी आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो. इसलिए, इस घाट को ‘ महाश्मशान ‘ कहा जाता है. यहां पर मृत्यु का पारंपरिक रिवाज होता है और लोग यहां आते हैं अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए.
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मोक्ष प्राप्ति के लिए यहीं क्यों आते हैं लोग
इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व भी बहुत उच्च है. माना जाता है कि वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर स्थित एक अग्निकुण्ड में आत्मा का उद्धारण करने से लोगों को मोक्ष प्राप्त होता है, जो हिन्दू धर्म के अनुसार अंतिम लक्ष्य होता है. यह धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल प्रतिवर्ष लाखों लोगों को आकर्षित करता है, जो अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति के लिए लोग यहां आते हैं. मणिकर्णिका घाट वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लोगों को उनके पूर्वजों का आदर्श स्मरण कराता है और धार्मिक आदर्शों की प्रेरणा प्रदान करता है. इस स्थान का नाम ‘ महाश्मशान ‘ इसकी महत्वपूर्णता को दर्शाता है, जो लोगों के लिए यहाँ आने का एक अद्वितीय कारण बनता है.
written by – Harsh Srivastava