World Day against Child Labor: क्यों मनाया जाता है बाल श्रम निषेध दिवस, जानिए इसके इतिहास, थीम व महत्व के बारे में
लखनऊ: दुनियाभर में हर साल आज ही के दिन (12 जून ) को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मुहीम को 19 साल पहले अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने बाल श्रम को रोकने के लिए की गई थी. इस दिन की मानाने के पीछे का उद्देश्य बच्चों से मजदूरी ना बल्कि उन्हें शिक्षा दिलाने और आगे बढ़ाने के लिए जागरूक करना है. क्या आप इस मुहीम के बारे और कुछ जानते हैं? नहीं…तो आइए आपके इसके बार में विस्तार से समझते है..
क्या है इसका इतिहास…
साल 1973 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने 138वें सम्मेलन में न्यूनतम आयु पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया, जिसका मकसद सदस्य देशों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल मजदूरी को समाप्त करना था. इसके 29 साल बाद साल 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने बाल श्रम रोकने का मुद्दा विश्व पटल पर रखा. साल 2002 में सभी देशों की सर्वसम्मति से एक कानून पारित हुआ, जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध घोषित किया गया. वर्तमान में इस श्रम संघ के लगभग 187 सदस्य देश शामिल हैं. बाल श्रम पर नियंत्रण को एक राष्ट्रीय मुद्दा मानते हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी देश इस मुहिम से जुड़ेंगे.
हर साल राखी जाती है नई थीम…
वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर 2023 की थीम ‘बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई का सप्ताह’ है. इस साल ILO का उद्देश्य लोगों को बाल श्रम जैसे अन्याय के बारे में जागरुक करना है और उसके खिलाफ कार्रवाई करना होगा. हर साल आईएलओ वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर को मनाने के लिए थीम की घोषणा करते है. इस थीम के आधार पर ही बाकी का कार्यक्रम निश्चित किया जाता है.
क्या है इसका महत्व…
बाल श्रम के इंटरनेशनल मुद्दे पर जागरूकता लाने और इसे खत्म करने के लिए और समाधान विकसित करने के लिए 12 जून को बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस के रूप में नामित किया गया है. ये दिन उन फिजिकल चिंताओं और निगेटिव मेंटल के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के दिन इंसान के लिए बाल श्रम में योगदान करने वालों की वजह से निपटने के लिए प्रभावी उपकरण बनाने के अवसर के रूप में भी काम करते हैं.