महंगाई के मोर्च से अच्छी खबर आई है. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर 2.05 प्रतिशत रह गई, जो छह महीने का सबसे निचला स्तर है. आज जारी सरकारी आंकड़ों में जानकारी दी गई है कि सब्जियों और दूसरे खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के चलते थोक महंगाई में बड़ी राहत मिली है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में 2.38 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल मार्च में यह 0.26 प्रतिशत थी.
धीमी गति को बताया कारण…
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की कीमतों में धीमी गति से वृद्धि के कारण भारत की थोक मुद्रास्फीति मार्च में चार महीने के निचले स्तर पर आ गई. हालांकि, सालाना आधार पर थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है. मार्च 2024 में थोक महंगाई दर 0.26 प्रतिशत थी.
क्यों घटी थोक महंगाई ?
सरकार के मुताबिक मार्च 2025 में थोक महंगाई में कमी के पीछे खाद्य उत्पादों, विनिर्माण, खाद्य वस्तुओं, बिजली और कपड़ा विनिर्माण आदि की कीमतों में मिली राहत की वजह से है. थोक खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने फरवरी में 5.94 प्रतिशत से कम होकर 4.66 फीसदी हो गई है. इसके अलावा मार्च में प्राथमिक वस्तुओं की मुद्रास्फीति फरवरी में 2.81 फीसदी से घटकर 0.76 फीसदी हो गई है.
मासिक आधार पर बड़ी गिरावट
मासिक आधार पर लगातार पांचवे महीने M-OM यानी माह-दर-माह आधार पर WPI में कमी आई है. फरवरी 2025 की तुलना में मार्च 2025 में WPI में 0.19 फीसदी की कमी आई है. खासतौर पर प्राइमरी आर्टिकल्स की कीमत में 1.07 फीसदी की कमी आई है.
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मौसम विभाग ने बढ़ाई चिंता…
देशभर में गर्मी की लहरों के बारे में भारतीय मौसम विभाग की चेतावनियों ने महंगाई का दबाव बढ़ने की चिंता बढ़ गई है. गर्मी के महीनों में तापमान बढ़ने से सब्जियों और फलों की कीमतों में मौसमी रूप से वृद्धि हो सकती है.
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क्या है WPI ?…
भारत में थोक महंगाई के आंकलन के सूचकांक को WPI कहा जाता है. WPI थोक में वस्तुओं की कीमत को मापता है. भारत में थोक मूल्य सूचकांक को तीन समूहों में बांटा गया है. पहला हिस्सा है प्राइमरी आर्टिकल्स, जिसका इंडेक्स में भारांक 22.6 फीसदी होता है. इसमें कृषि उत्पाद, पशुधन, खनिज और बागान उत्पाद शामिल होते हैं.
इसका पूरा ब्योरा अलग से खाद्य मूल्य सूचकांक के तौर पर भी जारी किया जाता है. इसके अलावा WPI का दूसरा अहम हिस्स ईंधन और बिजली हैं. इनका भारांक 13.2 फीसदी होता है. इसके अलावा सबसे बड़ा हिस्सा मैन्युफैक्चर्ड गुड्स यानी विनिर्माण उत्पादों का होता है. इसका भारांक 64.2 फीसदी होता है.