मिशन कंपलीट होने के बाद कहां जाएंगा चंद्रयान, क्या वापस धरती पर लौटेगा, जानें इससे जुड़ी खास बातें …
Chandrayaan-3 : भारत का चंद्रयान – 3 की सफलता के बाद हमारा देश दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। इसके साथ लैंडर विक्रम ने चंद्रमा पर पहुंचकर अपना काम भी शुरूकर दिया है, लैंडर ने चांद की सतह की अब तक कई सारी तस्वीरें भेजी है। इन तस्वीरों को इसरो ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर साझा करते हुए बताया है कि, ‘ये तस्वीरें लैंडर के Horizontal Velocity कैमरे से ली गई हैं यानी इस तस्वीर में चांद के साउथ पोल की वो सतह दिखाई दे रही है।
जहां लैंडर विक्रम उतरा है. रोवर ने तय एक्सपेरिमेंट भी करने शुरू कर दिए हैं।डेटा भी रोवर से लैंडर को और फिर ISTRAC यानी इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क को सफलतापूर्वक मिल रहा है।’ इसके साथ ही 14 दिनों तक प्रज्ञान रोवर चांद से जरूरी तस्वीरें और अहम जानकारी भेजता रहेगा। ऐसे में चंद्रयान को लेकर देशवासियों के मन में कई सवाल उठ रहे है जैसे – 14 दिन बाद चंद्रयान का क्या होगा, क्या धरती पर लौटेगा चंद्रयान ऐसे तमाम सवालो के जवाब हम आपको देने जा रहे है।
चंद्रयान-3 से जुड़े अहम तथ्य
– धरती पर वापस नहीं आएगा चंद्रयान-3, 14 दिन के मिशन के बाद चंद्रमा पर ही रहेगा चंद्रयान -3 ।
– पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है चंद्रमा का एक दिन ।
– चंद्रयान-3 का कुल वजन 3,900 किलोग्राम है. इसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम है. इसमें रोवर 26 किलोग्राम का है.
-14 दिन के बाद चंद्रमा पर रात हो जाएगी इसलिए 14 दिनों तक ही यह मिशन रहेगा, इसके बाद चंद्रमा पर अत्यधिक ठंड भी होगी और क्योकि, विक्रम और प्रज्ञान केवल धूप में ही काम करते है,इसलिए वे 14 दिनों के बाद निष्क्रिय हो जाएंगे । इसको लेकर इसरो के वैज्ञानिक से जब सवाल किया गया तो, उन्होने चंद्रमा पर फिर से सूरज उगने पर विक्रम और प्रज्ञान के वापस एक्टिव होने से इंकार कर दिया है।
-चंद्रयान-3 चंद्रमा की सहत और आवरण की जांच करेगा. चांद की सतह पर मौजूद रासायनिक तत्वों की पहचान करेगा. चांद की मिट्टी और चट्टानों में रासायनिक यौगिकों का पता लगाएगा। एल्यूमीनियम, मैग्नीशियम, सिलिकॉन जैसे तत्वों की खोज करेगा. कैल्शियम और टाइटेनियम की तलाश करेगा। इसके अलावा चंद्रमा की सतह पर तापीय गुणों का अध्ययन करेगा. लैंडिंग स्थल पर भूकंप की गतिविधियों की जांच करेगा और ब्रह्मांड में पृथ्वी जैसे दूसरे गृहों की खोज में मदद भी करेगा।