हमारी जेब, गुल्लक या वॉलेट में सिक्के तो हमेशा होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनका इस्तेमाल करने के भी कानूनी नियम हैं? The Coinage Act, 2011 के तहत सिक्कों को लेकर कुछ सख्त प्रावधान लागू किए गए हैं, जिनका उल्लंघन करना अपराध की श्रेणी में आता है. अगर किसी ने सिक्के लेने से इनकार कर दिया, सिक्कों को जमा करके रखा या फिर उन्हें गलाने की कोशिश की, तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है. इतना ही नहीं, कुछ मामलों में एफआईआर दर्ज होने के साथ जेल की सजा भी संभव है. आइए जानते हैं सिक्कों से जुड़े जरूरी नियम, जिनसे हर नागरिक को पता होना चाहिए.
आपको बता दें कि The Coinage Act, 2011 से पहले एक एक्ट था, The Indian Coinage Act, 1906.
>The Indian Coinage Act, 1906 भारत में सिक्कों के निर्माण, चलन, विनिर्माण और मानकों को विनियमित करने के लिए लागू किया गया था. इस अधिनियम के तहत सरकार को सिक्कों के विभिन्न मूल्यवर्ग, उनके धातु मिश्रण, आकार और डिज़ाइन को निर्धारित करने का अधिकार प्राप्त था.
Indian Coinage Act, 1906 के मुख्य प्रावधान
सिक्कों की परिभाषा और चलन: अधिनियम में विभिन्न सिक्कों को परिभाषित किया गया था और उनके कानूनी दर्जे को स्पष्ट किया गया था.
सिक्कों का निर्माण: भारत सरकार को अधिकृत किया गया था कि वह टकसाल (Mint) में सिक्के ढाल सकती है.
विशिष्टताए: प्रत्येक सिक्के का भार, मिश्रण और मानक निर्धारित किए गए थे.
कानूनी निविदा (Legal Tender): इस अधिनियम के तहत कुछ सिक्कों को सीमित या असीमित कानूनी निविदा के रूप में मान्यता दी गई थी.
सिक्कों को चलन से हटाने का अधिकार: सरकार को यह अधिकार दिया गया था कि वह किसी भी सिक्के को वापस बुलाकर उसे कानूनी निविदा से बाहर कर सकती है.
2011 का नया अधिनियम क्यों आया?
भारत में सिक्कों के निर्माण और उपयोग से जुड़े नियमों को लेकर समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं. Coinage Act, 2011 ने Indian Coinage Act, 1906 को रद्द कर दिया और सिक्कों के निर्माण, उपयोग और सुरक्षा को लेकर अधिक स्पष्ट और कठोर नियम लागू किए. नया अधिनियम आधुनिक सिक्कों से जुड़ी चुनौतियों जैसे कि सिक्कों को गलाना, नष्ट करना, अवैध रूप से जमा करना आदि को रोकने के लिए लाया गया.
देश में सिक्कों से जुड़े 11 जरूरी नियम:
1. चलन में मौजूद सिक्के लेने से इनकार करना अपराध:
यदि कोई व्यक्ति किसी वैध सिक्के को लेने से इनकार करता है, तो उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम और आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है.
2. सिक्कों का भार और धातु की कीमत:
सिक्का अधिनियम, 2011 की धारा-4 के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी सिक्के की धातु की कीमत उसके अंकित मूल्य से अधिक न हो, जिससे लोग उसे पिघलाकर लाभ न कमा सकें.
3. सिक्कों से अधिकतम 1000 रुपये का ही लेनदेन:
सिक्का अधिनियम में यह प्रावधान है कि एक रुपये से ऊपर के सिक्कों से अधिकतम 1000 रुपये तक का भुगतान किया जा सकता है. इससे अधिक राशि सिक्कों में देना कानूनी अपराध है.
4. सिक्के को काटना या तोड़ना दंडनीय अपराध:
सिक्का अधिनियम की धारा-5 के तहत यदि कोई व्यक्ति सिक्के को काटता या तोड़ता है, तो उसे उसी सिक्के के मूल्य के बराबर जुर्माना भरना होगा.
5. नकली सिक्के को तुरंत नष्ट करने का अधिकार:
धारा-9 के अनुसार, यदि अधिकृत व्यक्ति को लगता है कि कोई सिक्का नकली है, तो वह उसे तुरंत नष्ट कर सकता है.
6. धातु के किसी भी टुकड़े को सिक्के की तरह उपयोग करना अवैध:
कोई भी व्यक्ति सिक्के की तरह किसी अन्य धातु के टुकड़े का उपयोग नहीं कर सकता.
7. सिक्कों को गलाना और नष्ट करना अपराध:
सिक्के को पिघलाना, नष्ट करना या नुकसान पहुंचाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है.
8. सिक्कों का अन्य उपयोग प्रतिबंधित:
सिक्कों का उपयोग केवल लेन-देन के लिए किया जाना चाहिए, अन्यथा यह कानून का उल्लंघन होगा.
9. पिघले हुए सिक्के रखना गैरकानूनी:
यदि किसी व्यक्ति के पास पिघला हुआ सिक्का पाया जाता है, तो यह अपराध माना जाएगा.
10. अधिक मात्रा में सिक्के रखना प्रतिबंधित:
जरूरत से ज्यादा मात्रा में सिक्के रखना और उनकी फेस वैल्यू से अधिक कीमत पर बेचना कानूनन अपराध है.
11. सिक्कों से अन्य वस्तुएं बनाना अवैध:
सिक्कों को पिघलाकर ब्लेड या आभूषण बनाने के लिए इस्तेमाल करना गैरकानूनी है. रिपोर्टों के अनुसार, भारत के सिक्के बांग्लादेश में तस्करी के जरिए ले जाए जाते हैं और वहां धातु का उपयोग अन्य वस्तुएं बनाने में किया जाता है.
नया सिक्का अधिनियम, 2011 पुराने नियमों को अधिक सख्ती से लागू करने के लिए लाया गया था. यह सुनिश्चित करता है कि सिक्कों का दुरुपयोग न हो और वे केवल कानूनी विनिमय के माध्यम के रूप में उपयोग किए जाएं.