अक्सर आपने चार्जशीट के बारे में सुना होगा। पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है या, चार्जशीट पुलिस ने तैयार कर ली है, आदि. अब ज़रूरी ये समझना है कि आखिर ये चार्जशीट होती क्या है?
आसान भाषा में समझा जाए तो चार्जशीट एक फाइनल रिपोर्ट है जिसे पुलिस तैयार करती है. पुलिस द्वारा किये गए इन्वेस्टीगेशन के आधार पर चार्जशीट तैयार की जाती हसी, इससे अपराधी के अपराध को कोर्ट में सिद्ध किये जाने के लिए इस्तेमाल करते है.
रिपोर्ट मूल रूप से पुलिस अधिकारी द्वारा कोर्ट में जमा की जाती है. रिपोर्ट यह साबित करती है कि अपराधी किसी अपराध के मामले से जुड़ा हुआ है जोकि भारत के किसी दंडात्मक कानून से जुड़ा है.
चार्जशीट में क्या-क्या होता है?
रिपोर्ट में एफआईआर दर्ज करने की जांच प्रक्रिया शुरू होने से लेकर जांच पूरी होने तक और अंतिम रिपोर्ट तैयार करने तक सभी कड़े रिकॉर्ड शामिल होते है.
चार्जशीट FIR से अलग होती है.एक चार्जशीट के अंदर कई FIR आ सकते है. चार्जशीट में अपराध के बारे में सबूत, सुराग, और अपराध से जुड़ी जानकारियां रहती है. जैसे ही चार्जशीट कोर्ट में जमा की जाती है वैसे ही कोर्ट जुडिशियल सिस्टम के नियमों के अनुसार आगे की प्रोसीडिंग्स की जाती है.
आरोप पत्र यानी चार्जशीट को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 की धारा 173 मे विस्तृत ब्योरे से समझाया गया है. इस धारा के अनुसार आरोप पत्र में आरोपी से जुड़ी सारी जानकारियां रहती है. इतना ही नहीं बल्कि शिकायतकर्ता, पीड़ित से लेकर हर वह वस्तुएं जो जब्त की गई है सबकी जानकारी चार्जशीट में रहती है.
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