अक्सर हम लोगों के रंग-रूप और कद-काठी से जज करके उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसी ही सोच का शिकार हुई एक बेटी ने ऐसी मानसिकता के लोगों को आईएएस बनकर मुंहतोड़ जवाब दिया बल्कि सोच भी बदली। जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थान कैडर की आईएएस अधिकारी आरती डोगरा की। उनका कद भले ही तीन फुट है लेकिन उनके हौसले आसमान को छूने वाले हैं।
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होनी चाहिए
आरती मूलरुप से उत्तराखंड की रहने वाली है। 2006 बैच की आरती का कद भले ही कम हो लेकिन उन्होंने बड़े बड़े काम किये हैं। हाल ही में आरती को राजस्थान के अजमेर में अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है। इससे पहले भी वे एसडीएम अजमेर के पद पर रह चुकी हैं। इतना ही नहीं आरती डिस्कॉम की मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर भी रह चुकी हैं। आरती ने बंको बिकाणो अभियान की शुरुआत की। इस अभियान के तहत उन्होंने खुले में शौच करने वालों पर रोक लगाई थी। गांव-गांव जाकर शौचालय बनवाया था। इतना ही नहीं मोबाइल सॉफ्टवेयर के जरिए इसकी मॉनीटरिंग की जाती थी। इस अभियान को 195 गांवों में सफलता पूर्वक चलाया। इसी अभियान से आरती को पहचान मिली।
हालंकि शुरुआती दौर में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। स्कूलों ने भी उन्हें प्रवेश देने से इंकार कर कहा था कि नार्मल स्कूल में पढ़ाने की बजाय असमान्य स्कूल में इसे पढ़ाया जाये। इन सब रुकवटों को तोड़ते हुए उन्होंने अपना अलग ही मुकाम बनाया। दुनिया की न सुनते हुए उनके माता पिता ने भी उनकी सामान्य स्कूल में एडमिशन कराके पढ़ाई कराई।
आरती के नाम एक कीर्तिमान भी रहा है
माता पिता ने आरती के पंखों को फैलाने में मदद की। इसका नतीजा ये हुआ कि आज वो किसी भी परिचय का मोहताज नहीं हैं। आरती के नाम एक कीर्तिमान भी रहा है। वे जोधपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक के पद पर रहने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी भी रही हैं। आरती ने पद ग्रहण करने के बाद कहा कि जोधपुर डि़स्कॉम में बिजली की बर्बादी और फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने के लिए जूनियर इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर तक की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
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