Ayodhya: रामनगरी अयोध्या में एक अनोखी घटना होने जा रही है. हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत प्रेम दास 30 अप्रैल को रामलला जाएंगे. तीन सदियों में ऐसा पहली बार होगा जब हनुमानगढ़ी के महंत पहली बार मंदिर परिसर से बाहर निकलेंगे. यह परंपरा अब टूटेगी इससे पहले यह कभी नहीं टूटी है.
18वीं शताब्दी से यह नियम…
बता दें कि यह नियम 18वीं शताब्दी से है. हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी को मंदिर परिसर के 52 बीघा क्षेत्र में ही रहना होता था.मुख्य पुजारी को स्थानीय अदालतों में भी पेश होने की जरूरत नहीं थी. इतिहास में ऐसे मौके आए हैं, जब अदालत पुजारी का बयान लेने मंदिर आई थी.लेकिन, इस बार यह परंपरा टूट रही है.
जीवन इच्छा होगी पूरी…
बताया जा रहा है कि महंत प्रेम दास ने अपने जीवनकाल में रामलला जाने की इच्छा जाहिर की थी. वहीँ, अब सभी धार्मिक निकायों की सहमति से महंत प्रेम दास को राम मंदिर जाने की अनुमति मिल गई है. निर्वाणी अखाड़ा के पंचों ने सर्वसम्मति से उन्हें अनुमति दे दी.
अक्षय तृतीया की दिन निकलेगा जुलूस…
बता दें कि, 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया है और इस दिन महंत दास एक जुलूस में हनुमानगढ़ी से निकलेंगे. जुलूस में हाथी, ऊंट और घोड़े होंगे. नागा साधु, शिष्य, भक्त और स्थानीय व्यापारी भी जुलूस में शामिल होंगे. जुलूस सबसे पहले सरयू नदी के तट पर पहुंचेगा.
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अयोध्या में हनुमानगढ़ी का महत्त्व…
गौरतलब है कि, अयोध्या में हनुमानगढ़ी का काफी महत्त्व है. कहते है कि यह मंदिर अयोध्या के सबसे ऊंची स्थान पर स्थिति है. माना जाता है कि हनुमान जी, भगवान राम के भक्त, शहर की रक्षा करते हैं. मंदिर के देवता को शहर का ‘कोतवाल’ माना जाता है. यह भी माना जाता है कि भगवान राम की पूजा करने से पहले हनुमान जी का आशीर्वाद लेना जरूरी है.
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हनुमानगढ़ी को अयोध्या का संरक्षक माना जाता है क्योंकि इसका ऐतिहासिक महत्व है. यह अयोध्या के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है और यह माना जाता है कि हनुमान, भगवान राम के एक समर्पित सेवक, शहर की रक्षा करते हैं. मंदिर के देवता को ‘कोतवाल’ या शहर का अभिभावक माना जाता और यह माना जाता है कि भगवान राम की पूजा करने से पहले हनुमान का आशीर्वाद लेना एक परंपरा है.