वाराणसी के एक विधानसभा क्षेत्र में होगा 25 को मतदान
वाराणसी के पिंडरा विस क्षेत्र में थम गया चुनाव प्रचार, बाहरी किये गये बेदखल
जौनपुर के मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र में शामिल है वाराणसी का यह विस क्षेत्र
इस सीट पर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा रोचक था मुकाबला
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक जून को मतदान होना है, लेकिन इस जिले के एक इलाके में 25 मई को ही मतदान हो जाएगा. इसे देखते हुए गुरुवार को ही उस इलाके में चुनाव प्रचार थम गया. बाहरियों को सीमा क्षेत्र से बेदखल कर दिया गया. यह इलाका पिंडरा विधानसभा क्षेत्र है जो जौनपुर के मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र में आता है. यह वही लोकसभा सीट है जिस पर बीते चुनाव में सबसे कम वोट से जीत हासिल करने वाले भाजपा सांसद बीपी सरोज रहे.
पूर्वांचल में राजनीतिक दृष्टि से मछलीशहर सुरक्षित संसदीय सीट महत्वपूर्ण है. जौनपुर और वाराणसी की विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनी इस सीट पर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा रोचक मुकाबला देखने को मिला था. पड़ोसी जिले वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी तो मछलीशहर में सबसे कम वोट का रिकार्ड भाजपा के नाम बना.
बीजेपी के बीपी सरोज ने मात्र 181 वोट से बसपा के त्रिभुवन राम को दी थी शिकस्त
मछलीशहर सीट से संसद में पहुंचने वाले भाजपा के बीपी सरोज ने मात्र 181 वोट से बसपा के त्रिभुवन राम को शिकस्त दी थी. उस समय कांटे की टक्कर के चलते देर रात तक वोटों की गिनती होती रही. वाराणसी जिले की पिंडरा विस सीट पर मिली बड़ी बढ़त के कारण भाजपा को जीत मिल सकी थी. इस बार भी समीकरण वही दिखाई दे रहा है. 25 मई को मतदान होना है. इसे देखते हुए गुरुवार की शाम 6 बजे के बाद चुनाव प्रचार थम गया. इस सीट पर भले ही भाजपा विधायक अवधेश सिंह व कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय प्रत्याशी नहीं हैं, लेकिन पिंडरा में बढ़त के लिए सीधी टक्कर इन्हीं दो राजनीतिक योद्धाओं के बीच है.
यह विस क्षेत्र जिस लोस क्षेत्र मछलीशहर में आता है उस पर इस बार के चुनाव में भाजपा ने फिर से बीपी सरोज को टिकट दिया है. वहीं, सपा ने जातिगत समीकरण साधने के लिए अपने पुराने नेता तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज को चुनावी जंग में उतारा है. सुप्रीम कोर्ट की युवा अधिवक्ता प्रिया सरोज के जरिए सपा ने युवाओं और पीडीए दोनों को साधा है. बीपी सरोज बनाम प्रिया सरोज के तय मुकाबले में लड़ाई तब और दिलचस्प हो सकती है.
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पिछड़ों में भी यादवों की संख्या सर्वाधिक
बदले दौर की सियासत में मुद्दे गौंण हो गए हैं और राजनीति की बिसात पर हर कोई जातिवाद की गोटी फिट करने में लगा है. मछलीशहर में पिछड़े और दलित ही तय करते हैं कि जीत किसकी होगी. यहां पिछड़े और दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. पिछड़ों में भी यादवों की संख्या सर्वाधिक है. पिछड़ों के बाद अनुसूचित जाति के मतदाता दूसरे नंबर पर हैं. इसके बाद ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ, मुस्लिम और अन्य जाति के मतदाताओं का नंबर आता है. मछलीशहर सीट के पांच विधानसभा क्षेत्रों में वर्ष 2022 के चुनाव में दो सीटों पर भाजपा और उसकी सहयोगी अपना दल को जीत मिली थी. सपा और सुभासपा को तीन सीटें हासिल हुई थी. हालांकि, अब सुभासपा के सपा को छोड़ एनडीए का हिस्सा होने से यहां की तीन सीटें भाजपा गठबंधन के खाते में हैं.