बदहाली में जीने को मजबूर हैं बलिया में रहने वाले ‘निर्भया’ के गांववाले

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दिल्ली में आज से पांच साल पहले यूपी की जिस बेटी ने देश भर को महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के विषय में सोचने को मजबूर किया था, आज उनके गांव के लोगों को सुनने वाला कोई नहीं है। निर्भया की नाम पर भले ही तमाम योजनाओं का ऐलान कर देश में विश्वास पैदा करने की कोशिश की गई हो लेकिन असल हकीकत यह है कि उनका गांव आज भी कई बुनियादी सुविधाओं के इंतजार में हैं। बलिया जिले में स्थित निर्भया के मेड़वरा कला गांव में लोग आज भी उन सियासी आश्वासनों के सच होने की राह खोज रहे हैं।

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निर्भया के नाम पर हॉस्पिटल अभी तक नहीं खुला
दिल्ली में 16 दिसंबर को निर्भया के साथ हुई दर्दनाक वारदात के बाद 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। निर्भया की मौत के बाद यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी निर्भया के गांव मेड़वरा कला पहुँचकर गांव को विकास को गति देने के साथ निर्भया के नाम पर हॉस्पिटल खोलने की घोषणा की थी,लेकिन पांच वर्ष पूर्ण होने पर भी उक्त गांव में अब तक अस्पताल का काम पूरा नहीं हो सका है। एनबीटी से बातचीत के दौरान निर्भया के दादा लाल जी सिंह ने कहा कि बेटी की मौत के बाद केंद्र सरकार की ओर से जो भी मदद मिली हो लेकिन राज्य की ओर से उन्हें और उनके गांव को अब तक किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली है।

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विधायक ने पिछली सरकार को जिम्मेदार बताया
निर्भया के गांव की बदहाल स्थिति के बारे में बात करते हुए प्रदेश सरकार के मंत्री और स्थानीय विधायक उपेंद्र तिवारी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय में निर्भया के गांव में सीएम के दौरे के समय उन्हें वहां जाने से रोका गया था। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम ने अपने दौरे में तमाम घोषणाएं तो की थी लेकिन तब से लेकर आज तक इन पर काम नहीं हुआ। मंत्री ने कहा कि निर्भया के गांव में सुविधाओं की व्यवस्था के लिए तमाम प्रस्ताव शासन को भेजे गए हैं और जल्द ही इन पर काम शुरू करा दिया जाएगा।

साभार: (नवभारत टाइम्स )

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