वाराणसीः ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ शिक्षकों का बीएसए कार्यालय पर प्रदर्शन

शिक्षकों ने इसे बताया सरकार का मनमाना आदेश, कहा- पहले विभाग अपनी कमियां दूर करें

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परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों ने ऑनलाइन उपस्थिति व डिजिटाइजेशन के विरोध में गुरूवार को वाराणसी में बीएसए कार्यालय पर शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया. शिक्षकों ने इसे सरकार का मनमाना आदेश बताते हुए धरना दिया. शिक्षक इसे शासन द्वारा जबरन थोपा गया आदेश बता रहे हैं. ऐसे में उनका कहना है कि इसका विरोध जारी रहेगा.

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गौरतलब है कि बीते आठ जुलाई से स्कूलों में डिजिटल हाजिरी की शुरुआत करने का आदेश हुआ है. शिक्षक व छात्र उपस्थिति के साथ शिक्षकों को 12 पंजिकाएं ऑनलाइन भरनी है. इसके लिए शिक्षकों को टेबलेट दिए जा रहे चुके हैं, साथ ही सीयूजी सिम भी शिक्षकों को उपलब्ध कराया गया है. लेकिन अचानक आए इस आदेश से शिक्षक नाराज हैं और वह डिजिटाइजेशन का विरोध कर रहे हैं. सोमवार 8 जुलाई को जब स्कूल खुले तो पूरे प्रदेश में शिक्षकों ने आनलाइन हाजिरी का कड़ा विरोध किया. वाराणसी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए. उत्तर प्रदेश में 6.09 लाख से अधिक शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक हैं. इनमें से 16 हजार ने ही 8 जुलाई को ऑनलाइन हाजिरी लगाई थी. यह शिक्षकों की कुल संख्या का लगभग महज 2 प्रतिशत है. शिक्षकों का कहना है कि पहले ऑनलाइन उपस्थिति 15 जुलाई से शुरू होनी थी, लेकिन विभाग ने दो दिन पहले निर्देश जारी कर सोमवार 8 जुलाई से ही इसे लागू कर दिया. छात्रों की उपस्थिति और मिड डे मील (एमडीएम) विवरण समेत 12 पंजिकाओं को 15 जुलाई से ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं.

आदेश में कोई व्यवहारिकता नही

शिक्षकों का कहना है कि इस आदेश में कोई व्यावहारिकता नहीं दिखाई गई है. टैबलेट को ऑपरेट करने के लिए सिम दी गई हैं, लेकिन ये सिम प्रेरणा पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं किए की गई हैं. अभी तक शिक्षकों के पुराने नंबर ही पोर्टल पर रजिस्टर्ड है. ऐसे में टैबलेट से अटेंडेंस नहीं लग सकती. आदेश जारी करने से पहले विभाग को अपनी कमियां दूर करनी चाहिए. शिक्षकों का यही भी तर्क है कि दूरदराज के क्षेत्रों में अक्सर इंटरनेट की समस्या होती है और सही समय पर रियल टाइम अपलोडिंग संभव नहीं हो पाती. इसके अलावा ऐप पर लोकेशन कई जगह गलत बता रहा है. नेटवर्क की दिक्कतें हैं. ऐसे में एक-दो मिनट की देरी भी गैरहाजिर कर देगी. ऑल टीचर्स इंप्लाइज वेलफेयर असोसिएशन (अटेवा) के शिक्षक नेताओं का कहना है कि शहर में भीषण जाम से लेकर ग्रामीण इलाकों के मुश्किल भरे रास्तों में शिक्षकों को जूझना पड़ता है. कहीं जलभराव है तो कहीं इंटरनेट की सुविधा नहीं है. ऐसे हालात में ऑनलाइन हाजिरी कैसे हो सकती है.

विभाग शिक्षकों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे

उनका कहना है कि कई स्कूल दूरदराज के इलाकों में हैं और बारिश के मौसम में पानी से घिरे रहते हैं. ऐसे में अगर कोई शिक्षक देरी से पहुंचता है तो उसे अनुपस्थित मान लिया जाता है और उसकी छुट्टी काट ली जाती है. हालांकि शिक्षकों और कर्मचारियों की परेशानी को समझते हुए विभाग ने निर्धारित समय से 30 मिनट बाद तक उपस्थिति दर्ज कराने की सुविधा दी है. प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पांडेय का कहना है कि विभाग ने महीने में तीन दिन उपस्थिति में ढील देने का आश्वासन दिया था, लेकिन आदेश में इसका जिक्र नहीं है. उपार्जित अवकाश, ईएल, सीएल, हाफ लीव और दूसरे शनिवार की छुट्टी की शिक्षकों की मांग को लेकर भी कोई निर्णय नहीं लिया है. ऐसे में विभाग शिक्षकों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे. शिक्षकों की मांग है कि हाफ सीएल की व्यवस्था हो, अटेंडेंस पोर्टल दिन भर खुले और अगर वे चार दिन देरी से आएं तो एक कैजुअल लीव काट ली जाए. आपात स्थिति आंधी, बारिश, बाढ़, जाम, राजनीतिक-धार्मिक आयोजनों में रास्ता बंद होने पर हाजिरी में ढील दी जाय.

शिक्षकों के समर्थन में आए राजनीतिक दल

उधर, समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों के नेता भी शिक्षकों के समर्थन में आ गये हैं. समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने भी शासन के आदेश को अव्यवहारिक बताते हुए शिक्षकों की समस्याओं के निस्तारण की मांग की है. कहाकि योगी सरकार शिक्षकों के प्रति नकारात्मक व्यवहार कर रही है. केवल शिक्षकों को ही आनलाइन हाजिरी के लिए क्यों बाध्य किया जा रहा है जबकि दूसरे सरकारी कार्यालयों में लोग समय पर नहीं आते हैं. इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. सरकार को शिक्षकों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए. हालांकि विभाग का तर्क है कि ऑनलाइन हाजिरी प्रक्रिया से पारदर्शिता आएगी और शिक्षकों की रियल टाइम उपस्थिति जांची जा सकेगी. इसका फायदा छात्रों को मिलेगा. इससे हाजिरी के नाम पर शिक्षकों का बेवजह उत्पीड़न नहीं होगा. शिक्षकों के बात करके उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा.

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