कालाष्टमी व्रत कल, जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं ?
हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप कालभैरव की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है, जो भक्त इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखते हुए काल भैरव की पूजा करते हैं, उन्हें भगवान कालभैरव की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. साथ ही, उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा करने से व्यक्ति को भय, रोग, शत्रु और अन्य संकटों से मुक्ति मिलती है.
पौष माह की कालाष्टमी 2024:
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 2024 में पौष माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 22 दिसंबर को दोपहर 2:31 बजे से प्रारंभ होगी और अगले दिन 23 दिसंबर को शाम 5:07 बजे तक रहेगी. इस दिन काल भैरव की पूजा विशेष रूप से रात्रि के समय (निशा काल) की जाती है.
कालाष्टमी के दिन क्या करें:
व्रत रखें: काल भैरव की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन व्रत रखें.
शिव पुराण का पाठ: काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए शिव पुराण का पाठ अवश्य करें.
मंदिर जाएं: अपने घर के नजदीकी काल भैरव मंदिर में दर्शन करने जाएं.
गरीबों को भोजन कराएं: गरीबों को भोजन खिलाकर दान करें, ताकि उनकी दुआएं प्राप्त हों.
काले कुत्ते को रोटी खिलाएं: यह कार्य काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है.
सरसों के तेल का दीपक जलाएं: इस दिन सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
मंत्र जाप करें: काल भैरव के मंत्रों का जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
कालाष्टमी के दिन क्या न करें:
-इस दिन किसी से झगड़ा न करें और शांति बनाए रखें.
-मन में नकारात्मक विचारों को स्थान न दें.
-कालाष्टमी के दिन मांस और मदिरा का सेवन न करें.
-किसी को दुख या कष्ट देने से बचें.
-नशीले पदार्थों का सेवन न करें.
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कालाष्टमी के उपाय:
-कालाष्टमी के दिन काले तिल का दान करने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं.
-शमी के पेड़ की पूजा करने से भी लाभ प्राप्त होता है.
-नियमित रूप से काल भैरव मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति और सुकून मिलता है.
कालाष्टमी का महत्व:
कालाष्टमी का दिन भगवान काल भैरव की विशेष कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कालाष्टमी के व्रत से रोगों से मुक्ति मिलती है और शत्रु बाधाओं का नाश होता है. यह व्रत व्यक्ति के जीवन को समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाने में सहायक होता है.