वाराणसीः IIVR की दो सब्जी की किस्में पीएम ने किया देश को समर्पित
लौकी की काशी शुभ्रा और सेम की काशी बौनी सेम 207 लोकार्पित
देश में कम जमीन में अधिक पैदावार लेने की पहल को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में देश के किसानों को समर्पित किया है. इनमें 27 बागवानी फसलों की किस्में हैं, जिनको देश के विभिन्न भागों में पैदा कर किसान अच्छी आय ले सकते हैं. प्रधानमंत्री द्वारा किसानों को समर्पित ये सभी फसलें पोषणयुक्त हैं. इन्हें जलवायु एवं विभिन्न क्षेत्रों की अनुकूलता के लिए विकसित किया गया है. इन फसलों में वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान (आईआईवीआर) द्वारा विकसित सेम एवं लौकी की दो किस्में भी शामिल हैं जिन्हें काशी बौनी सेम-207 और काशी शुभ्रा नाम दिया गया है.
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संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. नागेंद्र ने इस उपलब्धि पर बताया कि काशी बौनी सेम-207 किस्म उन्नत किस्म की सेम है. इसकी बढ़वार झाड़ीनुमा है और पौधे की ऊंचाई 65-70 सेमी है. इसके बीज की बुआई अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरू होती है और नवंबर के दूसरे सप्ताह (रबी फसल) तक जारी रहती है.
बुआई के 90 दिन बाद करते हैं सेम की तुड़ाई
इस सेम की पहली तुड़ाई बुआई के 90-95 दिन बाद शुरू होती है और मार्च के अंतिम सप्ताह तक 10-12 सेमी लंबी फलियां उपलब्ध हो जाती हैं. पांच बार की तुड़ाई में इस फसल की औसत उपज 236 क्विंटल/हेक्टेयर है, जिससे किसानों को बेहतर आय प्राप्त होगी. यह किस्म खेत में फसल अवधि के दौरान वायरस रोगों के प्रति सहनशील है. उन्होंने बताया कि यह किस्म दिवा तापमान 35 डिग्री सेंटीग्रेड पर भी अच्छी उपज दे रही है. सरकार के केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा इस किस्म को पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड और राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली जैसे व्यावसायिक खेती वाले राज्यों के लिए पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है.
खरीफ, जायद और ऑफ-सीजन में उगाई जा सकती है काशी शुभ्रा लौकी
कार्यकारी निदेशक ने बताया कि संस्थान में विकसित लौकी की किस्म काशी शुभ्रा जो मुक्त परागित किस्म है. यह लोटनल/संरक्षित संरचना के तहत उत्पादित की जा सकती है. इसे भी खरीफ, जायद और ऑफ-सीजन में उगाने के लिए किसानों को समर्पित किया गया है. इस किस्म की पहली तुड़ाई बीज बोने के 55 दिन बाद शुरू होती है. फल हल्के हरे, चिकने बेलनाकार (गुटका प्रकार), मध्यम लंबे (28-30 सेमी) और फल का औसत वजन लगभग 800 ग्राम होता है. यह पैकेजिंग, दूरस्थ परिवहन और निर्यात के उद्देश्य के लिए बेहद उपयुक्त है. फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और खाद्य गुणवत्ता बेहतर है.
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छह दिनों तक किया जा सकता है भंडारण
यह किस्म लौकी के सामान्यतया लगने वाले रोगों के प्रति सहिष्णु है और कमरे के तापमान पर फलों को बिना खराब हुए 6 दिनों तक भंडारित किया जा सकता है. इसकी औसत उपज 636 क्विंटल/हेक्टेयर है. इस किस्म को भी उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में व्यावसायिक खेती के लिए केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा अधिसूचित किया जा चुका है. इन दोनों ही किस्मों की रोगरोधी क्षमताओं के कारण इनसे किसानों को अच्छी उपज और फसल मूल्य का लाभ मिल सकता है.