Varanasi: साहित्य पुरोधा व गीतकार हरिराम द्विवेदी पंचतत्व में विलीन

पीएम- सीएम ने दी श्रद्धांजलि

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Hariram Dwivedi: साहित्यकार व गीतकार पं. हरिराम द्विवेदी ( Hariram Dwivedi) हरि भइया मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए शहर के आम व खास लोगों ने अश्रूपूरित आंखों से उन्हेंच श्रद्धांजलि अर्पित की. महाश्मशान मणिकर्णिका घाट ( Markarnika GHAT ) पर उनका अंतिम संस्कार हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( narendra modi) ने भी उनको एक्स (ट्वीट) पर श्रद्धासुमन अर्पित किए. प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंदी साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार पं. हरिराम द्विवेदी जी के निधन से दुखी हूं. अंगनइया और जीवनदायिनी गंगा जैसे कविता संग्रहों और अपनी विभिन्न रचनाओं के साथ वे हमेशा हमारे जीवन में उपस्थित रहेंगे. उन्हें उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया.

आवास से निकली अंतिम यात्रा

हरि भइया की शवयात्रा महमूरगंज स्थित उनके आवास से मणिकर्णिका घाट के लिए निकली. रथयात्रा चौराहे पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, भाजपा विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने उन्हें कंधा दिया. जैसे-जैसे उनकी शवयात्रा आगे बढ़ रही थी, रास्ते में जगह-जगह खड़े लोगों ने उन्हें नमन किया और नम आंखों से विदाई दी. मणिकर्णिका पहुंचने के बाद उनके बड़े पुत्र राजेश कुमार द्विवेदी ने मुखाग्नि दी. तब पूरा माहौल गमगीन हो गया था.

ये रहे शामिल

अंतिम यात्रा में क्षेत्रीय सांस्कृतिक अधिकारी डॉ. सुभाषचंद्र यादव, डॉ. रामसुधार सिंह, प्रो. सदानंद शाही, रामानंद तिवारी, बनारस बार के पूर्व महामंत्री रत्नेश पांडेय, डॉ. अमलेश शुक्ल, बदरी विशाल, डॉ. नागेश शांडिल्य, डॉ. अपूर्व नारायण तिवारी, प्रतीक द्विवेदी, डॉ. धर्मप्रकाश मिश्र, गायक राजेश तिवारी, राजेंद्र गुप्ता, सिद्धनाथ शर्मा, जयशंकर जय, प्रतीक मिश्रा, कन्हैया दुबे केडी, रामयश मिश्र, विंध्याचल पांडेय, गौरम अरोड़ा ‘सरस’, मृत्युंजय पांडेय, गीतकार रंजन मिश्र, आशीष द्विवेदी, पूणे अंकित पांडेय, अरुण द्विवेदी, अनुपम द्विवेदी पौत्र, अतुल द्विवेदी, श्रीश मिश्रा, नागेंद्र, संताष पांडेय, संजय पांडेय, विजयचंद्र त्रिपाठी आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे.

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गूंजे हरि भइया के गीत

श्मजशान घाट पर जब हरि भइया की चिता सजी तो कवियों ने उन्हें उनके गीत मर्यादा है इस देश की पहचान है गंगा, पूजा है धर्म-दीन है ईमान है गंगा… से अंतिम विदाई दी. साहित्यकार डॉ. जयशंकर जय ने बताया कि वह केवल भोजपुरी में ही नहीं हिंदी साहित्य पर में सिद्धस्त थे. उन्होंने अपनी रचनाओं में ग्रामांचल चित्रण किए. वह भारतीय सभ्यता, संस्कृति, लोक रिवाज, तीज व त्योहारों भाव के साथ उद्धृत किए हैं. संकटमोचन संगीत समारोह से लेकर शहर के बड़े मंचों पर अतिथि व संचालक के रूप में दिख जाते थे.

उनके नाम पर पुरस्कार

मुंबई में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्र ने पं. हरिराम द्विवेदी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए साहित्य की अपूरणीय क्षति बताया. उन्होंने कहा कि हरिराम द्विवेदी ने मुंबई में लोकभाषा व लोकगीतों को पुष्पित व पल्लवित करने में अप्रतिम योगदान दिया था, इसलिए मुंबई की सामाजिक सांस्कृतिक संस्था अभियान की ओर से हर साल उनके नाम पर पुरस्कार देगी.

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