‘बनारस के मेले’ बनेंगे शोध का विषय, BHU में शामिल होगा कोर्स…
अपनी उत्सवधर्मिता के लिए पूरी दुनिया मे मशहूर काशी एक ऐसी नगरी है, जहां सात वार और आठ त्योहार की मान्यता है। यहां के धर्म, संस्कृति और अध्यात्म विश्व प्रसिद्ध हैं। जिन्हें हर कोई देखना और समझना चाहता है। काशी में कई ऐसे लखटकिया मेले लगते हैं जो अनोखे हैं, जैसे – लोटा-भंटा मेला, नाग नथैया, देव दीपावली, सुरैया इन सब के धार्मिक और पौराणिक महत्त्व हैं।
इनकी विशेषता जग जाहिर है। लेकिन अब आप इनकी विशेषता पर शोध कर सकते हैं, वह भी एमए की डिग्री के साथ। इसकी शुरुआत इस जुलाई से होने जा रही है। इसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान के तहत शुरू किया जा रहा है, जिसे काशी अध्ययन केंद्र के जरिये छात्र-छात्राओं तक पहुंचाया जाएगा।
सोशल साइंस डिपार्टमेंट में होगी पढ़ाई-
सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन कौशल किशोर मिश्रा इस बारे में कहते हैं कि काशी मेरी निगाह में महज शहर नहीं, यह पूरा विश्व है। पिछले 10 वर्षों में काशी का जिस तरह से विकास हुआ है और देशी-विदेशी पर्यटकों का आना जिस तेजी से बढ़ा है, उन्हें काशी की धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक जानकारी देना भी हमारा ही काम है।
इसी आधार पर हमने सोचा कि एक ऐसी फौज तैयार की जाए जो काशी के बारे में सही-सही और गहराई के साथ लोगों को जानकारी दे सके। इसी सोच के साथ हमने एक कोर्स तैयार किया और उसे मंजूरी भी मिल चुकी।
कोर्स में मेलों की पढ़ाई को लेकर विद्यार्थियों में है उत्साह-
विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रहे इस अनोखे कोर्स को लेकर छात्रों में भी खासा उत्साह है। काशी के धर्म और मेलों पर पहली बार शुरू हो रहे ऐसे कोर्स का छात्र स्वागत कर रहे हैं।
उनका मानना है कि उन विदेशी छात्रों को खासा मदद पहुंचने वाला है जो अपने देश से आकर यहां के अनोखे मेलों को समझने के लिए किताबें तलाशते हैं। लेकिन अब उन्हें बीएचयू के काशी अध्ययन केंद्र के जरिये ये आसानी से हासिल हो जाएगा।
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