वाराणसी। कोरोना की दहशत के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की एक खबर सुर्खियां बनी हुई है। एक दैनिक समाचार पत्र ने एक गांव के मुसहर बस्ती में बच्चों के घास खाते की खबर छापी। दावा किया गया कि लॉकडाउन के चलते भूख से बिलखते बच्चों के सामने घास खाने के अलावा कोई चारा नहीं है। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद उत्तर प्रदेश में हड़कंप मच गया। हालांकि जिला प्रशासन की तफ्तीश में ये खबर फर्जी निकली। खुद डीएम ने इस खबर का संज्ञान लिया। इस दौरान डीएम ने सोशल मीडिया पर एक फोटो डाली, जिसने पूरी खबर की हवा निकाल दी।
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डीएम ने दिखाया रिपोर्टर को आईना
वाराणसी के डीएम कौशल राज ने रिपोर्टर को आइना दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर एक फोटो डाली। इस फोटो में जिलाधिकारी अपने बेटे के साथ उसी घास को खाते दिखाई दिए, जिसे समाचार पत्र ने प्रकाशित किया था। जिलाधिकारी ने खबर का खंडन करते हुए बताया कि ये खास नहीं है बल्कि आखरी दाल और हरे चने की बालियां हैं, जिसे पकने के पहले भी खाया जाता है। डीएम ने समाचार पत्र से खबर का खंडन छापने के साथ ही माफीनामा छापने का निर्देश दिया है।
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क्या है पूरा मामला ?
दरअसल कुछ दिन पहले बनारस से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र ने कोइरीपुर गांव के मुसहर बस्ती की खबर छापी। दावा किया गया कि लॉकडाउन के चलते लोगों के पास खाने के लिए खाना अनाज नहीं है। लिहाजा घरों के बच्चे घास खाकर भूख मिटा रहे हैं। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के नाते लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया। लिहाजा खबर की पड़ताल के लिए जिलाधिकारी खुद फ्रंट पर आए।
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