बाबा विश्वनाथ को अतिप्रिय हैं, काशी के कोतवाल… 8 दिशाओं से करते हैं शहर की रक्षा
बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जा रहे हैं तो काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा भैरवनाथ के दर्शन जरूर करें. उनके दर्शन किए बगैर तीर्थ अधूरा माना जाता है.
काशी को बनारस और वाराणसी भी कहा जाता है, ये पाप नाश्नी नगरी कहलाती है. काशी विश्वनाथ की प्रिय नगरी मानी जाती है, शादी के बाद भगवान शिव देवी पार्वती का गौना कराकर पहली बार यहीं आए थे. काशी विश्वनाथ की महिमा निराली है, मान्यता है कि यहां जिसकी मृत्यु होती है वह मोक्ष को प्राप्त होता है. वहीं अगर आप बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जा रहे हैं तो काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा भैरवनाथ के दर्शन जरूर करें. उनके दर्शन किए बगैर तीर्थ अधूरा माना जाता है. काशी विश्वजनाथ में दर्शन से पहले भैरव के दर्शन करने होते हैं तभी दर्शन का महत्व माना जाता है.
काशी के राजा बाबा विश्वानाथ माने जाते हैं. वहीं काल भैरव को इस शहर का कोतवाल कहा जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शंकर के आदेश पर काल भैरव पूरे शहर की व्यजवस्थाै संभालते हैं. बता दें कि ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए भैरव ने काशी में ही तपस्या की थी.
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भगवान भैरवनाथ का दंड भी खास
काशी में यमराज की भी नहीं चलती है. यहां पर भगवान भैरवनाथ का दंड मृत्यु के उपरांत शरीर पर पड़ता है. जो व्यक्ति के बुरे कर्मों के लिए होता है. काशी के 8 मुख्य भैरव मंदिर, जिनके बारे में माना जाता है कि वे सभी 8 दिशाओं से शहर की रक्षा करते हैं, सामूहिक रूप से अष्ट भैरव के रूप में जाने जाते हैं.
भैरव शिव जी के गण और पार्वती के अनुचर
काल का अर्थ समय और मृत्यु दोनों है. मंदिर के गर्भगृह में काल भैरव की चांदी की मूर्ति है जो कुत्ते की मूर्ति पर विराजमान है. इस मंदिर में शराब चढ़ाने का प्रचलन सदियों से जारी है. असल में काल भैरव के मंदिर में शराब चढ़ाना संकल्प और शक्ति का प्रतीक माना जाता है.
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ऐसा माना जाता है कि काशी की यात्रा काल भैरव मंदिर के दर्शन और आशीर्वाद के बिना पूरी नहीं होती. भगवान काल भैरव शिव जी के गण और पार्वती जी के अनुचर माने जाते हैं. इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. भगवान काल भैरव को तंत्र-मंत्र के स्वामी के रूप में भी जाना जाता है. शास्त्रों में उल्लेख है कि शिव के रूधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई.
नकारात्मक ऊर्जाओं को करते हैं नष्ट
भैरव का अर्थ होता है भय का हरण करने वाला. यह भगवान शिव का रौद्र स्वरूप हैं. धार्मिक मान्यता है कि विधिपूर्वक काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में खुशियों आती हैं. इसके साथ ही भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं. काल भैरव भगवान शिव के रूप हैं जो सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करके काशी की रक्षा करने के लिए माने जाते हैं. भगवान शिव ने भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए लड़ाई के दौरान भगवान ब्रह्मा का सिर काटने के लिए काल भैरव का रूप धारण किया था.
भगवान शिव और काशी को अविभाज्य माना जाता है. शिव का काशी से विशेष महात्य है. इन्हें काशी के नाथ देवता भी कहा जाता है. यहां 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है. काशी एक मात्र ऐसी नगरी है, जहां नौ गौरी देवी, नौ दुर्गा, अष्ट भैरव, 56 विनायक और 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं.
Written By- Anchal Singh Raghuvanshi