USA ELECTION: जानें USA के राष्ट्रपति चुनाव भारत से कैसे हैं अलग ?
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव
6 नंवबर 2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. इसको लेकर वहां के राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी तेज हो गई. सभी सियासी पार्टियां अपने – अपने चुनावी अभियान में जुटी हुई हैं. वहीं राष्ट्रपति पद के मजबूत दावेदार जो बाइडन अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए कड़ी महनत कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रंप भी अपनी 2020 में हुई भारी हार का जवाब देने के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. ऐसे में इस बार कौन राष्ट्रपति का ताज किसके सिर सजेगा ये तो, देखने वाली बात होगी. यहां ये भी जानना जरूरी है कि अमरिका का ये राष्ट्रपति चुनाव भारत में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से कैसे अलग है. ये हम आज विस्तार से जानेंगे.
भारत के प्रधानमंत्री से कैसे भिन्न है अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव
भारत में होने वाले 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और विपक्षी इंडियन गठबंधन दोनों में कड़ी टक्कर है. जहां भारत में जनता वोट का प्रयोग कर अपना प्रधानमंत्री चुनती है. वहीं अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनावों की प्रक्रिया काफी लंबी और अहम होती है. वहां सीधे जनता अपने मत का प्रयोग नहीं करती है, ब्लकि ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के माध्यम से वहां चुनाव होता है. इसमें दो अलग -अलग पार्टियों के राष्ट्रपति बनने वाले उम्मीदवार सबसे पहले एक समिति बनाते हैं. जिसमें चंदा इकट्ठा करने और नेताओं के प्रति जनता का रुख जानने के लिए ये समिति काम करती है. इस दौरान पार्टिायां अपने उम्मीदवारों की सूची भी जारी करती है. जिसके बाद दूसरे दौर में अमेरिका के 50 राज्यों के वोटर पार्टी प्रतिनिध चुनते हैं.
दूसरे दौर में चुने जाते हैं उम्मीदवार
अमेरिका संविधान में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ को ध्यान में रखा जाता है. जिसके तहत चुनावी साल के दूसरे दौर में अमेरिकी संविधान प्राइमरी स्तर पर पार्टी प्रतिनिधि चुने जाते हैं. इसी कारण अमेरिका के कुछ राज्यों में ‘प्राइमरी’ मतदान का प्रयोग ना करके ‘कॉकस’ के जरिए उम्मीदवार चुनते हैं. पहले यानी ‘प्राइमरी’ में चुने गए उम्मीदवार दूसरे दौर में पार्टी के सम्मेलन में भाग लेते हैं. जिसके बाद कन्वेनशन में प्रतिनिधि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं. इसके साथ ही इसी दौर में नामंकन की प्रक्रिया होती है जो राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार अपनी पार्टी की तरफ से और उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार भी चुनता है.
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तीसरे दौर होता है अहम
तीसरे दौर की शुरुआत में चुनाव प्रचार होता है. जिसमें आखिरी हफ्ते में उम्मीदवार अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं. सभी ‘स्विंग स्टे्टस’ को लुभाने में जुट जाते है. वहीं तीसरे दौर में चुनाव प्रचार के तहत टीवी पर हर मामलों को लेकर बहस की जाती है. इसमें सभी उम्मीदवार भाग लेते हैं. वहीं चुनाव की अंतिंम प्रक्रिया में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ बनाते हैं. जिसमें कुल 538 लोग होते हैं. इसके तहत ‘इलेक्टर’ चुनने के साथ ही जनता के लिए चुनाव समाप्त हो जाता है. वहीं आखिरी में इलेक्टोरल कॉलेज’ के सदस्य अपना मतदान करते हैं और राष्ट्रपति बनाते हैं. वहीं 538 सदस्यों में से 270 इलेक्टोरल मतों का एक पक्ष में पड़ना जरूरी होता है.