गुजरात की याद दिला गया यूपी में राज्यसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश देश की राजनीति में बड़ा महत्व रखता है। यही कारण है कि यहां होने वाले हर चुनाव पर पूरे देश की नज़र रहती है। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ। इस दौरान पूरे दिन स्थिति गंभीर बनी रही और देर रात तक चले ड्रामे के बाद बीजेपी ने बाजी मार ली। 10 सीटों में से 9 पर भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की।
समाजवादी पार्टी के खाते में जाना भी तय था
यूपी के इस राज्यसभा चुनाव में बिल्कुल उसी तरह उथल-पुथल मची जिस तरह गुजरात के राज्यसभा चुनावों में मची थी। तब भी देर रात तक हाईवोल्टेज ड्रामा हुआ था, बीजेपी ने कांग्रेस के अहमद पटेल को हराने के लिए पूरा जोर लगाया था, लेकिन तब बीजेपी हारी थी और शुक्रवार को उसने जीत का स्वाद चखा है.दरअसल, उत्तर प्रदेश की 10 सीटों में से 8 सीटों पर बीजेपी की जीत पक्की थी, जबकि एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में जाना भी तय था।
लेकिन असली लड़ाई 10वीं सीट के लिए थी, जिसपर बीजेपी की ओर से अनिल अग्रवाल तो वहीं बसपा की ओर से भीमराव अंबेडकर मैदान में थे। वोटिंग के दौरान कई विधायकों के क्रॉस वोटिंग की बात सामने आई तो इसका फायदा बीजेपी को मिला। बसपा के अनिल सिंह, सपा के नितिन अग्रवाल ने खुले तौर पर बीजेपी का समर्थन किया।
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काउंटिंग शुरू होने के दौरान यूपी राज्यसभा चुनाव में बैलेट पेपर पर आपत्ति उठी। इस वजह से चुनाव आयोग ने काउंटिंग रुकवा दी थी। आरोप था कि नितिन अग्रवाल और अनिल सिंह ने अपने वोट ऑथराइज एजेंट को नहीं दिखाए थे। इसकी शिकायत बीएसपी ने चुनाव आयोग से की और इसी वजह से काउंटिंग रोकी गई है। बीएसपी और सपा ने दोनों विधायकों के वोट को रद्द करने की मांग की थी। चुनाव आयोग के आदेश के बाद ही काउंटिंग शुरू हुई।
बीजेपी की ओर से भी करारा वार किया गया
नतीजा सामने आने के बाद बसपा ने भारतीय जनता पार्टी पर धनबल के इस्तेमाल का आरोप लगाया तो वहीं बीजेपी की ओर से भी करारा वार किया गया। नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत से समाजवादी पार्टी का अवसरवादी चेहरा प्रदेश की जनता ने एक बार फिर से देखा। यह पहली बार नहीं है, जब सूबे की जनता के सामने समाजवादी पार्टी का अवसरवादी चेहरा सामने आया है। उन्होंने सपा पर तंज कसते हुए कहा कि सपा सिर्फ लेना जानती है, लेकिन देना नहीं जानती है।
जिसके चलते 174 वोटों की काउंटिंग की गई थी
पिछले साल गुजरात में राज्यसभा चुनाव में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर बनी थी। उसमें भी एक-एक वोट की लड़ाई थी. उस चुनाव को भी बीजेपी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। लेकिन ऐन वक्त पर अहमद पटेल बाजीगर साबित हुए थे। गुजरात के राज्यसभा चुनाव में कुल 176 वोट किए गए थे। इनमें से 2 वोट रद्द कर दिए गए, जिसके चलते 174 वोटों की काउंटिंग की गई थी। एक समय हारते दिख रहे अहमद पटेल ऐन वक्त पर जीत दर्ज करने में कामयाब हो गए।
उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार बलवंत राजपूत को शिकस्त दी थी। उस चुनाव में पूरे दिन हाईवोल्टेज ड्रामा चला था। अमित शाह खुद गुजरात में डेरा डाले बैठे थे। लड़ाई इस कदर थी कि गुजरात से लेकर दिल्ली में चुनाव आयोग तक सरगर्मी थी। कांग्रेस दो विधायकों के वोट रद्द करवाने के चक्कर में देर रात ही चुनाव आयोग के दरवाजे पर पहुंच गई थी।
अपील को दरकिनार करने की मांग की थी
कांग्रेस के इस प्रयास को कमजोर करने के लिए बीजेपी ने 6 केंद्रीय मंत्रियों का डेलीगेशन चुनाव आयोग भेजा था। वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, मुख्तार अब्बास नकवी, निर्मला सीतारमण और धर्मेंद्र प्रधान ने चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचकर कांग्रेस की अपील को दरकिनार करने की मांग की थी। और ऐसा करीब एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे तीन बार हुआ था। कड़ी मशक्कत के बाद लगभग देर रात 1.30 बजे चुनाव आयोग ने दोबारा गिनती शुरू करने का आदेश दिया था।
aajtak
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