देश को यूपी ने दिये सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री, कभी रहा कांग्रेस का गढ़
देश में लोकसभा चुनाव के दौरान अब तक 543 लोकसभा सीटों में 380 सीटों पर मतदान हो चुका है. ऐसे में देश में प्रधानमंत्रियों पर नजर डालना भी अहम् है. बता दें कि अब तक देश में हुए 15 प्रधानमंत्रियों में सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री यूपी से संबंध रखने वाले रहे है. यूपी का देश की आबादी में 17 फीसद हिस्सा है. अभी तक देश में 15 प्रधानमंत्रियों में 6 प्रधानमंत्री यूपी से रहे. वही, 9 ऐसे प्रधानमंत्री भी रहे है, जो प्रदेश की विभिन्न सीटों का प्रतिनिधित्त्व करते रहे है. वही, पंजाब से ताल्लुक रखने वाले तीन नेता प्रधानमंत्री बने है.
कार्यकाल में कौन आगे…
अगर देश में प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए देखा जाये तो सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश ने दिया है वही दूसरे नम्बर पर महाराष्ट्र ने केवल एक प्रधानमंत्री दिया है जो कि राजीव गाधी थे, जबकि गुजरात ने दो प्रधानमंत्री दिए हैं. इसी बीच अगर प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल पर नजर डाले तो यह संख्या और भी ज्यादा रहा. पद पर रहते हुए इन प्रधानमंत्रियों में से 75 फीसदी समय ऐसे प्रधानमंत्रियों के पास रहा जो यूपी की सीटों से आते थे.
इनका रहा सबसे लंबा कार्यकाल…
आपको बता दें कि देश में सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री पद पर पंडित जवाहर लाला नेहरू का कार्यकाल रहा है. उन्होंने 17 साल इस पद की जिंम्मेदारी संभाली. इसके बाद 15 साल इंदिरा गाधी रही. वहीं,अटल बिहारी का कार्यकाल 6 साल का रहा था. लेकिन वर्तमान में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री है जो गुजरात से आते है. लेकिन उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से सांसद है.
यूपी से रहा नेहरू- गांधी परिवार का नाता…
बता दें कि उत्तर प्रदेश से नेहरू, गांधी परिवार का पुराना नाता है. कहा जा रहा है कि शुरुआत तब से हुई थी जब से मोतीलाल नेहरू ने आगरा से वकालत की थी और इलाहाबाद चले गए थे. कहा जा रहा है कि उन्होंने इलाहाबाद में स्वराज भवन नाम से हवेली खरीदी थी. जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का जन्म इलाहाबाद में हुआ था और 1930 तक स्वराज भवन में रहे.
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क्यों खास है उत्तर प्रदेश…
प्रदेश में आज 25 करोड़ की जनसंख्या है और देश में सबसे बड़ा आबादी वाला राज्य है. यह प्रदेश देश की सांसद में 80 सांसद भेजता है. इसके बाद महाराष्ट्र का दूसरा नम्बर है जहां 48 लोकसभा सीटें है. लोकसभा में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 20 फीसदी है. आजादी के बाद के तीन दशकों में उत्तर प्रदेश कांग्रेस का गढ़ रहा है.