UP Crime: धनंजय के फर्जी एनकाउंटर ने कराई थी पुलिस की किरकिरी

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UP Crime: रंगदारी व अपहरण के मामले में दोषी करार जौनपुर के बाहुबली नेता धनंजय सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं. लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करने के दौरान आई इस खबर से उनके समर्थकों में मायूसी देखने को मिल रही है. चार दिन पहले ही उन्होंने जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन अब वह सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं. ऐसे में आपको धनंजय के फर्जी एनकाउंटर की दिलचस्‍प घटना के बारे में बताने जा रहे हैं. उस समय उन पर 50 हजार रुपये का इनाम था. इसमें पुलिस उनको ढेर किये जाने जश्न मना रही थी, लेकिन तीन महीने बाद उनके जिंदा कोर्ट में समर्पण करने के बाद मुठभेड फर्जी होने का राज खुला तो पुलिस की जमकर किरकिरी हुई.

यूपी पुलिस ने किया था वांटेड 

दरअसल, धनंजय सिंह उन दिनों 50 हजार रुपये का इनाम था. ये इनाम उन पर लखनऊ पुलिस ने रखा था. पुलिस धनंजय की सरगर्मी से तलाश कर रही थी. फर्जी एनकांउटर की ये कहानी 17 अक्टूबर 1998 की है. भदोही जिले की पुलिस को एक गोपनीय सूचना मिली थी कि भदोही – मिर्जापुर बॉर्डर पर कुछ लोग एक पेट्रोल पंप लूटने वाले हैं. पुलिस की टीम वहां पहले पहुंच गई. पेट्रोल पंप के आसपास पुलिस ने घेराबंदी कर दी. बदमाशों के पहुंचते ही पुलिस ने फायरिंग कर दी.

इस एनकाउंटर में चार लोग मारे गए. पुलिस ने दावा किया कि इस मुठभेड़ में धनंजय सिंह को भी मारा गया है. मुठभेड़ में मारे जाने के दावे के दिन ही कहानी में नया मोड़ आ गया. भदोही के ही एक व्यक्ति ने वहां के SP से शिकायत कर दी. इस शिकायत में कहा गया कि जिसे धनंजय सिंह बताया गया है, वो उनका भतीजा है. ये खबर जंगल में आग की तरह फैल गई. शहर में पुलिस के खिलाफ विरोध शुरू हो गया. तीन दिनों तक विरोध होता रहा. कई मानवाधिकार संगठन भी विरोध में आ गए. बात लखनऊ तक पहुंची. फिर उत्‍तरप्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी. आरोपी पुलिसवालों पर केस दर्ज हुआ.

ऐसे खुला फर्जी एनकाउंटर का राज

एक और तारीख ने पुलिस की पोल खोल दी. जिस धनंजय को एनकांउटर में मारने का दावा किया गया, वो एक दिन अदालत पहुंच गया. तारीख थी 11 जनवरी 1999. बाहुबली धनंजय सिंह उस दिन कोर्ट सरेंडर करने पहुंच गए. कथित पुलिस मुठभेड़ के बाद से ही वो भूमिगत हो गए थे. धनंजय सिंह अपराध की दुनिया से निकलकर अब पॉलिटिक्स में किस्मत आजमाना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने सरेंडर करने का रास्ता चुना. महीनों तक वे जेल में रहे. फिर वो निर्दलीय ही 2002 में चुनाव लड़ कर विधायक बन गए.

तीन दशक से अधिक पुराना है आपराधिक इतिहास

जौनपुर के पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह का आपराधिक इतिहास तीन दशक से अधिक पुराना है. पुलिस डोजियर के अनुसार धनंजय सिंह के खिलाफ वर्ष 1991 से 2023 के बीच जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली में 43 आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए. इनमें से 22 मामलों में अदालत ने धनंजय को दोषमुक्तकर दिया है. तीन मुकदमे शासन ने वापस ले लिए हैं. हत्या के एक मामले में धनंजय की नामजदगी गलत पाई गई और धमकाने से संबंधित एक प्रकरण में पुलिस की ओर से अदालत में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई. यह पहला मामला है, जिसमें धनंजय को दोषी करार दिया गया.

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जौनपुर के सिकरारा थाना के बनसफा गांवके मूल निवासी धनंजय सिंह ने जौनपुर के टीडी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की.इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में अभय सिंह से दोस्ती हुई. इसके बाद हत्या, सरकारी ठेकों से वसूली, रंगदारी जैसे मुकदमों में नाम आने लगा.देखते ही देखते धनंजय सिंह का नाम पूर्वांचल से लेकर लखनऊ तक सुर्खियों में छा गया.अभय से बीच मनमुटाव हो गया. इसीको लेकर वाराणसी के नदेसर क्षेत्र में धनंजय के काफिलेपर भी हमला किया गया था. यह मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है.

 

 

 

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