आज के दिन कांग्रेस ने तोड़े थे जीत के सारे रिकॉर्ड, राजीव गांधी के नेतृत्व में मिला था प्रचंड बहुमत

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भारत की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वर्ष 1984 में देश का 8वां लोकसभा चुनाव हुआ. इस चुनाव से पहले देश और खासकर सिखों ने बहुत कुछ झेला. चुनाव के बाद शाह बानो केस और फिर राम मंदिर के मामले ने देश की सियासत और राजीव गांधी की इमेज को भी बदला. इस दौरान हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को रिकॉर्ड तोड़ सीटें मिलीं. यह चुनाव 542 लोकसभा सीटों के लिए हुआ था. राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 401 सीटों का प्रचंड बहुमत हासिल कर इतिहास रच दिया. इस चुनाव में भाजपा को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं.

Rajiv Gandhi Congress Loksabha Election 1984

जानिए वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव के मुख्य घटनाक्रमों के बारे में…

दरअसल, इंदिरा गांधी को उस वक्त झटका लगा था जब उनके बेटे संजय गांधी की वर्ष 1980 में एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी. इसके बाद उनके छोटे बेटे राजीव गांधी अपनी पायलट की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए. संजय की मौत के बाद खाली हुई अमेठी संसदीय सीट पर जून 1981 में उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में राजीव गांधी कांग्रेस के उम्मीदवार बने और लोकदल के शरद यादव को हराकर लोकसभा में पहुंच गए. इस चुनाव में शरद यादव संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार थे.

Rajiv Gandhi Congress Loksabha Election 1984

वर्ष 1983 में राजीव गांधी पार्टी महासचिव बने. यह वह दौर था जब पंजाब में खलिस्तानी उग्रवाद इस कदर बढ़ गया था कि पूरे राज्य को सेना के हवाले करना पड़ा. जरनैल सिंह भिंडरांवाला की सरपरस्ती में खालिस्तानी आतंकवादियों ने स्वर्ण मंदिर परिसर को अपना अड्डा बना लिया था. इस अड्डे को नष्ट करने के लिए इंदिरा गांधी को साहसिक फैसला करना पड़ा. स्वर्ण मंदिर को भिंडरावाले और उसके आतंकियों से मुक्त कराने के लिए सेना के हवाले कर दिया गया.

Rajiv Gandhi Congress Loksabha Election 1984

वर्ष 1984 में 3 से 6 जून तक चले सेना के ऑपरेशन ब्लू स्टार में भिंडरांवाला मारा गया. लेकिन, पवित्र स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई और उससे अकाल तख्त के क्षतिग्रस्त होने से सिखों की भावनाओं को बहुत ठेस पहुंची. इसकी परिणिती 31 अक्टूबर, 1984 को सामने आई, जब इंदिरा गांधी की उनके निजी सिख सुरक्षा गार्डों ने गोलियों की बौछार कर उनकी हत्या कर दी.

Rajiv Gandhi Congress Loksabha Election 1984

इसके बाद देश में सिख विरोधी हिंसा भड़क उठी. उस हिंसा में हजारों बेगुनाह सिखों का कत्लेआम हुआ और उनकी अरबों की संपत्ति या तो लूट ली गई या जलाकर खाक कर दी गई. उस सिख विरोधी दंगे के छींटे आज भी कांग्रेस के दामन पर हैं.

Rajiv Gandhi Congress Loksabha Election 1984

संजय गांधी की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी की हत्या से कांग्रेस को दूसरा बड़ा झटका लगा. इस झटके से पार्टी को उबारने के लिए मंच पर राजीव गांधी आए. उन्हें कांग्रेस के बड़े-बुजुर्गों ने पीएम की कुर्सी सौंपने में जरा भी देरी नहीं की. राजीव गांधी के पीएम बनने के 2 महीने के भीतर ही वर्ष 1984 का लोकसभा चुनाव हुआ.

Rajiv Gandhi Congress Loksabha Election 1984

28 दिसंबर, 1984 में लोकसभा की 542 में 515 सीटों पर ही चुनाव हुए थे. असम की 14 और पंजाब की 13 सीटों पर चुनाव 1 साल बाद सितंबर, 1985 में हुए. इन चुनावों में कांग्रेस को 542 में से 415 सीटों पर जीत मिली थी. इतिहास में पहली बार कांग्रेस को मिले वोटों का प्रतिशत 50 के करीब पहुंचा. कांग्रेस ने कुल 49.1 प्रतिशत हासिल किए थे.

भाजपा के लिए यह चुनाव पहला चुनाव था. वर्ष 1980 में ही पार्टी का गठन हुआ था. भाजपा ने 224 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन उसे महज 2 सीटों आंध्रप्रदेश से गुजरात से जीत मिली. आंध्र की हनमकोंडा सीट से पीवी नरसिंहराव को हराकर सी. जंगा रेड्डी और गुजरात की मेहसाणा सीट से एके पटेल जीत दर्ज की थी.

Rajiv Gandhi Congress Loksabha Election 1984

भाजपा के लगभग 50 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी, जबकि उसे प्राप्त वोटों का प्रतिशत 7.74 रहा. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को इस चुनाव में 22 सीटों के साथ 5.87 फीसदी वोट मिले थे. भारतीय कम्युनिस्ट (भाकपा) 2.71 प्रतिशत वोट पाकर 6 सीटों पर जीती थी. पीएम राजीव गांधी उनकी रिकार्ड बहुमत प्राप्त करने वाली सरकार 5 साल चली और फिर देश एक बार फिर से वर्ष 1989 के आम चुनाव के दरवाजे पर दाखिल हो गया.

 

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