पूर्वांचल में सब्जी उत्पादन एवं निर्यात की अपार संभावनाएं

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वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान में आज सब्जी उत्पादक-निर्यातक संपर्क गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस बैठक का उद्देश्य सब्जी उत्पादक किसानों, किसान उत्पादन संगठनों, निर्यातकों, उद्यमियों एवं अन्य हितग्राहियों के बीच संपर्क स्थापित करना था. बैठक में वाराणसी, सोनभद्र एवं मिर्ज़ापुर जिले के 25 प्रगतिशील किसान, ऍफ़ पी ओ के सदस्य एवं निर्यातक उपस्थित थे. इस बैठक में मिर्च, परवल, भिन्डी, लौकी, करेला, सूरन, सहजन एवं मटर के निर्यात मापदंडों, गुणवत्ता युक्त उत्पादन एवं उत्तम कृषि क्रियाओं पर विस्तार से चर्चा की गयी.

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डॉ नागेन्द्र राय, विभागाध्यक्ष, फसल सुधार ने अतिथियों एवं हितग्राहियों का स्वागत करते हुए कहा कि देश में वर्ष भर सब्जियों का उत्पादन एवं निर्यात किया जा रहा है जिसमें किसानों, नीतिनिर्धारकों एवं वैज्ञानिकों का सराहनीय योगदान रहा है. माइक्रो एक्सिम एक्सपोर्ट फर्म, चंदौली के निर्यातक श्री प्रताप सिंह ने बताया कि पूर्वांचल से मिर्च, परवल, भिन्डी, लौकी, करेला, सूरन, सहजन एवं मटर की बड़ी मात्रा में निर्यात की संभावनाएं है. उन्होंने इन सब्जी उत्पादों में निर्यात के मापदंडों पर विस्तार से चर्चा किया तथा बताया कि इन फसलों के निर्यात हेतु वर्ष भर उत्पादन एवं उपलब्धता को सुनिश्चित करना होगा. संस्थान के निदेशक डॉ तुषार कान्ति बेहेरा ने कहा कि सब्जी उत्पादन के साथ-साथ निर्यात हेतु उत्तम कृषि प्रथाओं की विकसित करने एवं उन्हें अपनाने की आवश्यकता है, जिससे निर्यात योग्य सब्जियों का उत्पादन किया जा सके. उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा विकसित सब्जियों की कई किस्में एवं संकर निर्यात के मापदंडों पर खरी उतरती है जिनकी खेती करके किसान निर्यात की मांग को पूरा कर सकते है.

डॉ बेहेरा के अनुसार यह कार्यक्रम किसानों, किसान उत्पादन संगठनो एवं उद्यमियों के लिए निर्यात के दरवाजे खोलने की दिशा में एक अनोखी पहल है. संस्थान के वैज्ञानिक डॉ इन्दीवर प्रसाद ने निर्यात हेतु उपयुक्त किस्मों एवं उनके मापदंडों पर एक व्याख्यान दिया. इस कार्यक्रम में संस्थान के तीनों विभागाध्यक्ष, परियोजना समन्वयक एवं वैज्ञानिक गण उपस्थित थे. इस कार्यक्रम के आयोजन में डॉ डी आर भारद्वाज, डॉ राजेश कुमार, डॉ प्रदीप कर्मकार, डॉ ज्योति देवी एवं डॉ आत्मानंद त्रिपाठी ने सहयोग दिया. कार्यक्रम का संचालन डॉ इन्दीवर प्रसाद एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुदर्शन मौर्या ने किया.

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