Ballia’ के चर्चित खाद्यान्न घोटाले में दो कोटेदार गिरफ्तार
आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सुखपुरा चौराहे से दोनों को पकड़ा
बलिया के चर्चित खाद्यान्न घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) की वाराणसी शाखा ने दो कोटेदारों को गुरूवार को बलिया के ही सुखपुरा थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. पकड़े गये दोनों कोटेदारों में सुखपुरा बाजार के प्रेमचंद गुप्ता और सूर्यपुरा गांव के अमरदेव राम गोंड हैं. वर्ष 2002 और 2005 के मध्य केन्द्र सरकार की सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत हुए इस घोटाले के दौरान भी दोनों कोटेदार थे और इस समय भी कोटेदार हैं. दोनों को टीम बलिया से लेकर वाराणसी पहुंची और विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अदालत में प्रस्तुत कर जेल भेज दिया.
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ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर सुनील वर्मा ने बताया कि आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के पुलिस अधीक्षक लाल साहब यादव ने उनके नेतृत्व में निरीक्षक रविन्द्र प्रताप यादव, मुख्य आरक्षी छेदी सिंह, हेमंत सिंह और विनोद यादव की टीम गठित की थी. मुखबिर की सूचना पर टीम ने गुरूवार की सुबह 11 बजे सुखपुरा चौराहे से आरोपित प्रेमचंद गुप्ता और अमरदेव राम को गिरफ्तार किया.
फर्जी मजदूर और फर्जी हस्ताक्षर कर किया गया था घोटाला
इस मामले में आरोपितों के खिलाफ सुखपुरा थाने में वर्ष 2006 में धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज है. जांच में दोनों दोषी पाये गये. इसके बाद कार्रवाई की गई. बता दें कि पेमेंट आर्डर, मस्टर रोल में कूटरचना कर मजदूरों के फर्जी हस्ताक्षर के साथ फर्जी मजदूरों के नाम-पत्ता अंकित करते हुए फर्जी निशान अंगूठा बनाया गया था. सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत ग्रामीण परिवारों में अतिनिर्धन, गरीब बाल श्रमिकों के माता-पिताओं को रोजगार देकर खाद्यान्न और नगद धनराशि का भुगतान किया जाना था. नियमों और मानकों की अनदेखी करके योजना को असफल कर दिया गया. ग्राम पंचायत अंश से जुड़े इस प्रकरण में ईओडब्ल्यू वाराणसी ने अपनी जांच में जनपद के अधिकारियों, ब्लॉक स्तर के अधिकारियों के साथ सेक्रेटरी, कोटेदार और ग्राम प्रधान को भी दोषी पाया.
काम के बदले अनाज योजना में हुई थी लाखों की हेराफेरी
काम के बदले अनाज योजना में हुए लाखों के घोटाले में वर्ष 2006 में मुकदमा दर्ज होने के बाद मामले की विवेचना ईओडब्ल्यू को दे दी गई थी. क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत स्तर की विवेचना के दौरान ईओडब्ल्यू ने कोटेदारों, खंड विकास अधिकारियों, सचिवों, जिला पंचायत सदस्यों की गिरफ्तारी कर चुकी है. अब ग्राम पंचायत स्तर की विवेचना चल रही है. विवेचना के दौरान ईओडब्ल्यू को ग्राम पंचायतों की पत्रावली, दस्तावेज नहीं मिल रहे थे. इसके लिए उच्चाधिकारियों के आदेश पर 14 जनवरी 2020 को तत्कालीन खंड विकास अधिकारी पीके सिंह ने 29 नलकूप चालकों (तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिवों) के खिलाफ बैरिया थाना में तहरीर देकर एफआईआर दर्ज कराई थी. इसकी विवेचना तत्कालीन उपनिरीक्षक शिवकुमार यादव ने की. और 28 जून को फाइनल रिपोर्ट लगाकर न्यायालय भेज दिया था. ऐसे में ईओडब्ल्यू को सिर्फ एक ग्राम पंचायत गोपालपुर की 32 पत्रावलियां ही उपलब्ध हुई थी. दस्तावेज गायब होने के मामले की विवेचना पुलिस कर रही है.