कलियुग में लौटा त्रेतायुग, अयोध्या में संत हुए गदगद…

प्रभु राम का 500 वर्षों के इंतजार के बाद पुनः आगमन

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अयोध्या: राम की नगरी अयोध्या में इस साल का दीपोत्सव एक ऐतिहासिक पर्व बन गया है. प्रभु श्रीरामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद इस पर्व ने संतों और श्रद्धालुओं में एक विशेष उत्साह देखा जा रहा है. वहीं अयोध्या के संतों ने इस आयोजन को एक अद्भुत बताया है, जो 500 सालों की लंबी प्रतीक्षा के बाद संभव हुआ है.

दीपोत्सव सनातन धर्म की धरोहर

अयोध्या के दशरथ महल के महंत बिंदु गद्याचार्य स्वामी देवेन्द्र प्रसादाचार्य ने अयोध्या दीपोत्सव को सनातन धर्म की धरोहर बताया है. उन्होंने कहा कि दिवाली और दीपोत्सव सनातन का आधार है. इस बार की दीपावली विशेष है क्योंकि इस बार प्रभु राम का 500 वर्षों के इंतजार के बाद अपने धाम में पुनः आगमन हुआ है.

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संतों ने जताया सीएम योगी का आभार…

बता दें कि दीपोत्सव को लेकर संत समाज ने सीएम योगी का आभार जताया है. उनका मानना है कि श्रीरामलला के पुनः विराजमान होने का यह दिव्य अवसर सरकार के प्रयासों का परिणाम है. संतों का कहना है कि सरकार ने अयोध्या की इस धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को फिर से संजीवित किया है, जिससे संपूर्ण संत समाज में प्रसन्नता है. रामलला के अयोध्या में विराजमान होने से न केवल संत समाज, बल्कि अयोध्या की पूरी जनता गर्वित है और इस दीपोत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है.

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अयोध्या में त्रेतायुग जैसा माहौल…

संतों ने कहा कि आज अयोध्या का दृश्य ऐसे लग रहा है जैसे “त्रेतायुग में भगवान के अयोध्या आगमन पर जो दिव्य दृश्य था”, वह आज पुनः हमारे सामने है. हम संतजन इस ऐतिहासिक क्षण को देखकर हर्षित हैं और इस दीपोत्सव में अद्वितीय उत्साह के साथ शामिल हो रहे हैं.” अयोध्या में सरयू तट से लेकर श्रीराम लला मंदिर और अन्य विभिन्न मंदिरों में दीप जलाकर इस अद्वितीय दीपोत्सव को मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. संत समाज, श्रद्धालुओं और सरकार के सामूहिक प्रयासों से यह दीपोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन है.

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