बनारसी ठंडाई के स्वाद के दीवाने हैं पर्यटक ,बाबा विश्वनाथ को भी लगता है ठंडाई का भोग

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वाराणसी: इन दिनों सावन का पवित्र महीना चल रहा है,और काशी में शिवभक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है. घाट से लेकर मंदिर और गलियों तक कांवरियों का जत्था देखने को मिल रहा है. ऐसे में बनारस के खान-पान की चर्चा होना लाजमी है. हम बात कर रहे हैं बनारसी ठंडई की. बनारसी ठंडई के स्वाद की चर्चा विदेशों तक है. घरेलू पर्यटक काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के बाद बनारसी ठंडई का स्वाद भी लेते हैं. वाराणसी के गोदौलिया चौराहे पर ठंडई की आधा दर्जन दुकानें सजी हैं. इन दुकानों से बनारसी ठंडई का स्वाद परोसा जाता है.

ठंडाई का इतिहास…

ठंडाई का इतिहास 1000 ईसा पूर्व का है। लेकिन बनारसी ठंडई की बात करें तो इसका इतिहास बहुत पुराना है. श्री काशी विश्वनाथ को ठंडाई का भोग भी लगाया गया है. वैसे तो ठंडाई का कोई लिखित इतिहास नहीं है. गोदौलिया की प्रसिद्ध ठंडाई दुकान बादल ठंडाई के मालिक सुरेंद्र केसरी ने ठंडाई बनाने की विधि के बारे में बताया कि यह काजू, बादाम, मलाई, केसर से बनाई जाती है. ठंडाई में इलायची, लौंग का भी इस्तेमाल किया जाता है. सावन के महीने में ठंडाई की बिक्री काफी बढ़ जाती है. बनारसी ठंडाई तीन प्रकार की होती है. पहली बनारसी ठंडई, दूसरी पिस्ता ठंडाई, तीसरी केसरिया ठंडई। पिस्ता ठंडाई पिस्ते से बनाई जाती है और इसमें क्रीम भी मिलाई जाती है. बनारसी ठंडई में लौंग, इलायची, सौंफ, केसर मलाई का इस्तेमाल किया जाता है. केसर ठंडाई में सिर्फ केसर और क्रीम रह जाती है.

कांवरिया और पर्यटक ठंडई के दीवाने हैं…

पर्यटक बनारसी ठंडई के स्वाद के दीवाने हैं. देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद जब गोदौलिया चौराहे पर पहुंचते हैं तो गोदौलिया चौराहे पर स्थित ठंडाई की दुकान देखकर उनके मुंह में पानी आ जाता है और पर्यटक इन ठंडाई की दुकानों की ओर कदम बढ़ा देते हैं। सुबह से लेकर देर रात तक ठंडई की दुकानों पर भीड़ लगी रहती है. तमाम बनारसी ठंडई का स्वाद लेते नजर आ रहे हैं. कई श्रद्धालु और पर्यटक ऐसे भी होते हैं जो बनारसी ठंडाई पैक कराकर अपने साथ ले जाते हैं. जिसने एक बार बनारसी ठंडई का स्वाद चख लिया वह बार-बार ठंडाई पीने बनारस जरूर आएगा.

जानिए कैसे बनाई जाती है बनारसी ठंडाई…

बनारसी ठंडाई को बनाने के लिए 3 से 4 घंटे का वक्त लगता है। बनारसी ठंडाई काजू, पिस्ता, बादाम लौंग, इलाइची, सौंफ, मलाई, दूध, केसर से तैयार किया जाता है. ठंडाई बनाने के लिए सबसे पहले दूध को एक बड़े कड़ाही में उबाला जाता है दूध उबल जाने के बाद उसको ठंडा किया जाता है. दूध के ठंडा हो जाने के बाद उसमें मलाई पिस्ता और बादाम मिलाया जाता है फिर उसमें केसर का रस डालकर मिट्टी से बने कुल्हड़ में परोसा जाता है. कूल्हड़ के चलते बनारसी ठंडाई का स्वाद भी दोगुना हो जाता है. वैसे तो ठंडाई सादा ही परोसा जाता है लेकिन बनारस की बात करें तो बनारस में बाबा विश्वनाथ को भांग चढ़ाया जाता है भांग बाबा विश्वनाथ का प्रिय प्रसाद है इस वजह से काशी में भांग वाली ठंडाई भी परोसी जाती है.

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