Explainer: आसमान छू रही टमाटर की कीमतें- क्या वायरस ने बर्बाद कर दीं फसलें?
भारत में इस समय टमाटर की कीमतों का संकट जिस तरह से आया है, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया था. तूफान के हालात ने फसलों को जरूर खराब कर दिया है. लेकिन संकट देशव्यापी कैसे हो गया? बताया जा रहा है कि देश के कई प्रमुख टमाटर उत्पादक देशों में टमाटर की कमी का संकट एक साथ आ गया है, जिससे समस्या गंभीर और लंबी होती दिख रही है. उत्तर और पश्चिम के कुछ राज्यों में तूफान ने बड़े पैमाने पर टमाटर की फसल को नष्ट कर दिया है, जबकि कुछ राज्यों में किसान अपनी टमाटर की फसल के नुकसान के लिए वायरस संक्रमण का हवाला दे रहे हैं. लेकिन वायरस संक्रमण पर भी अलग अलग कहानी है. लेकिन वायरस संक्रमण पर भी अलग अलग कहानी है.
इस मौसम में क्यों बढ़ जाती हैं कीमतें?
आमतौर पर बरसात के मौसम में सब्जियों के महंगे होने का कारण यह है कि भारी बारिश के कारण ट्रक रास्ते में फंस जाते हैं, जिससे सब्जियां बाजारों तक नहीं पहुंच पाती हैं और आपूर्ति कम होने के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं. लेकिन इस साल अब तक मुश्किल से ही कई दिनों तक लगातार बारिश हुई है. हां, तूफान ने परेशानी जरूर पैदा की है, लेकिन वह भी सिर्फ फसल बर्बादी तक ही सीमित है.
खराब फसल, माल ढुलाई नहीं…
टमाटर की कीमतों के लिहाज से परिवहन और माल ढुलाई की समस्या महत्वपूर्ण है क्योंकि कर्नाटक से टमाटर उत्तर भारत के कई राज्यों में जाते हैं जहां वे स्थानीय टमाटरों की मदद करके मांग को पूरा करने में योगदान करते हैं. इसमें महाराष्ट्र के टमाटर भी शामिल हैं. यह भी है कि ऐसे टमाटरों की मांग भी अलग-अलग होती है. लेकिन इस बार यातायात का संकट नहीं था.
कर्नाटक और महाराष्ट्र में वायरस…
कर्नाटक के कोलार के किसान तो यहां तक कह रहे हैं कि उनकी टमाटर की फसल की बर्बादी के लिए यह वायरस जिम्मेदार है. इससे सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई और कीमतें बढ़ती गईं और संकट बरकरार है. लेकिन इसके साथ ही महाराष्ट्र के किसानों का ये भी कहना है कि इस वायरस की वजह से उनकी टमाटर की फसल भी बर्बाद हो गई है. लेकिन वहां अन्य वायरस से फसलें खराब हो गई हैं.
तीन तरह के वायरस का कहर…
वहीं, कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि टोमैटो लीफ कर्ल वायरस (ToLCV) संक्रमण के कारण कर्नाटक में कोलार के किसानों की टमाटर की पैदावार में भारी गिरावट आई है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ककड़ी मोज़ेक वायरस (CMV) ने महाराष्ट्र में तबाही मचाई है, जबकि टमाटर मोज़ेक वायरस (ToMV) कई राज्यों में इसके लिए ज़िम्मेदार है.
ये कैसा वायरस है…
टोमेटो लीफ कर्ल वायरस बेमिसिया टैबासी नामक सफेद मक्खी द्वारा फैलने वाला एक पादप वायरस है जो विशेष रूप से किसी भी अवस्था में टमाटर को संक्रमित कर सकता है, लेकिन इसका अधिक प्रभाव युवा अवस्था में देखा जाता है.’ इससे पौधे की पत्तियां छोटी एवं विकृत हो जाती हैं तथा फल के विकास पर प्रभाव पड़ता है. दूसरी ओर, सीएमवी और टीओओएमवी वाले टमाटर पीले हो जाते हैं और उनकी वृद्धि भी प्रभावित होती है और पत्तियों में परिवर्तन संक्रमण का संकेत देता है.
आधी से भी कम उपज…
कर्नाटक के कोलार किसानों के दावे की पुष्टि करते हुए आईसीएआर आईआईएचआर के वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोलार क्षेत्र के आधे से ज्यादा गांवों में टमाटर कर्ल लीफ रोग का संक्रमण पाया गया है, जिससे वहां की पैदावार पर काफी असर पड़ा है. जून से सितंबर तक देश में टमाटर के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक कोलार कृषि उपज बाजार समिति का कहना है कि जून महीने में केवल 3.2 लाख क्विंटल टमाटर की आवक हुई है, जबकि इसी समय 5.45 लाख क्विंटल टमाटर की आवक हुई थी. पिछले साल.
देखने वाली बात यह है कि भारत में साल भर उगाए जाने वाले टमाटर की अगली फसल की पैदावार कब आती है ताकि देश में टमाटर की कीमतों की स्थिति में सुधार हो सके. टमाटर की फसल को पकने में 70 से 100 दिन का समय लगता है। ऐसे में नहीं लगता कि इस समस्या का समाधान जल्द निकलेगा. ऐसे में सारा दबाव स्थानीय स्तर पर उगाए जाने वाले टमाटरों के उत्पादन पर आएगा.
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