Explainer: कैसे बनती है आसमानी बिजली, क्यों जमीन पर गिरते ही हो जाती है जानलेवा ?

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पिछले 02-03 दिनों में दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक बिजली गिरने की कई घटनाओं में 07 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. जब आसमान में अधिक बादल होते हैं या मानसून के दिनों में हम अक्सर आसमान से बिजली चमकने के साथ गड़गड़ाहट की आवाज सुनते हैं. हम आमतौर पर इसे बिजली का बोल्ट कहते हैं। जमीन पर गिरने पर यह जानलेवा साबित होता है.

सबसे पहले यह समझते हैं कि आकाशीय बिजली कैसे बनती है. किन जगहों पर ये बेहद घातक साबित होता है. किन जगहों पर ये बेहद घातक साबित होता है. पुराने जमाने में जब आसमान में बिजली चमकती थी. जब आकाश में गड़गड़ाहट होती थी तो मनुष्य भयभीत हो जाता था. उसका मानना था कि ईश्वर उससे नाराज है. अब ऊपर से कहर टूटने वाला है.

इसी शख्स ने पहली बार आकाशीय बिजली के बारे में बताया था…

1872 में, वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन बिजली गिरने का सटीक कारण बताने वाले पहले व्यक्ति थे. उन्होंने बताया कि जब आसमान में बादल होते हैं तो उसमें मौजूद पानी के छोटे-छोटे कण हवा की रगड़ से चार्ज हो जाते हैं. कुछ बादलों पर धनात्मक आवेश तथा कुछ पर ऋणात्मक आवेश आ जाता है। जब ये दोनों प्रकार के आवेशित बादल मिलते हैं तो इनके मिलने से लाखों वोल्ट की बिजली उत्पन्न होती है।

फिर गर्जना की ध्वनि क्यों होती है?

आकाश में इस प्रकार की बिजली उत्पन्न होने के बाद यह विद्युत धारा उन बादलों के बीच के स्थान में प्रवाहित होने लगती है. इससे भारी मात्रा में चमक पैदा होती है। इसी कारण आकाश में बिजली चमकती हुई दिखाई देती है. चूँकि विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है इसलिए ऊष्मा भी बड़े पैमाने पर उत्पन्न होती है. इससे हवा फैलती है और उसके लाखों कण आपस में टकराने लगते हैं. वे गड़गड़ाहट की ध्वनि उत्पन्न करते हैं.

आप पहले प्रकाश और फिर ध्वनि क्यों देखते हैं?

बिजली और गड़गड़ाहट एक साथ होती है लेकिन हम बिजली को सबसे पहले देखते हैं. इसका कारण यह भी है कि प्रकाश की गति ध्वनि से कहीं अधिक तेज़ यानी 30,0000 किलोमीटर प्रति सेकंड है जबकि ध्वनि की गति केवल 332 मीटर प्रति सेकंड है.

यह किसी इमारत या पेड़ पर कैसे गिरता है…

जब चार्ज बादल पृथ्वी पर किसी ऊंचे पेड़ या इमारत के पास से गुजरता है तो इमारत या पेड़ में उसके चार्ज के विपरीत चार्ज उत्पन्न हो जाता है, जब यह मात्रा अधिक होती है तो बादल से बिजली उस इमारत या पेड़ में प्रवाहित होने लगती है। इसे बिजली गिरना कहते हैं.

कहां इसकी अधिक संभावना है…

खेतों में काम करने वाले, पेड़ों के नीचे पनाह लेने वाले, तालाब में उस समय नहाते हुए लोग इसके खतरे में ज्यादा होते हैं. लिहाजा जब भी बिजली की चमक नजर आए तब इनके पास से हट जाएं.उस समय खेतों में काम करने वाले, पेड़ों के नीचे शरण लेने वाले, तालाब में नहाने वाले लोगों को खतरा अधिक होता है. इसलिए जब भी आपको बिजली दिखे तो उनसे दूर चले जाएं.

बचाव कैसे करें…

– बिजली चमकने और गड़गड़ाहट होने पर यदि आप घर के अंदर हैं तो बिजली के उपकरणों से दूर रहें, तार वाले टेलीफोन का इस्तेमाल बिल्कुल न करें.

– खिड़कियाँ और दरवाज़े बंद कर दें। बरामदे और छतों से दूर रहें। इसके अलावा जो चीजें बिजली की सुचालक होती हैं उनसे भी दूर रहना चाहिए. धातु के पाइप, नल, फव्वारे, वॉश बेसिन आदि के संपर्क से बचें।

– बिजली चमकने के दौरान कभी भी किसी पेड़ के नीचे न खड़े हों. ऊंची इमारतों वाले क्षेत्र में कोई आश्रय नहीं. समूह में खड़े होने के बजाय अलग-अलग खड़े हों. किसी घर में शरण लेना बेहतर है.

– सफर के दौरान अपने वाहन में ही रहें. मजबूत छत वाले वाहन में रहें. खुली छत वाले वाहन की सवारी न करें. बाहर रहने पर धातु से बनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करें.

– बाइक, बिजली या टेलीफोन का खंभा तार की बाड़ और मशीन आदि से दूर रहें.तालाब और जलाशयों से दूर रहें यदि आप पानी के भीतर हैं, अथवा किसी नाव में हैं तो तुरंत बाहर आ जाएं.

तो समझ लीजिए कि चारों तरफ बिजली गिरेगी…

अगर बिजली चमक रही हो. अपने सिर के बालों को सिरे पर खड़ा होने दें। अगर त्वचा में झुर्रियां दिखने लगें तो तुरंत नीचे झुकें और अपने कान बंद कर लें. यह इस बात का संकेत है कि आपके आसपास बिजली गिरने वाली है.

अगर गिरी बिजली का आघात हुआ हो तो…

बिजली का झटका लगने पर जरूरत के अनुसार व्यक्ति को सीपीआर, कार्डियो पल्मोनरी रेसिटेंशन यानि कृत्रिम सांस देनी चाहिए. तुरंत प्राथमिक चिकित्सा देने की व्यवस्था करें.

कब ज्यादा गिरती है बिजली?

2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौत 25 से 31 जुलाई के बीच दर्ज की गई. इस दौरान भारत में 4 लाख से ज्यादा बार बिजली गिरने की घटना दर्ज हुई. भारत के उत्तर पूर्वी राज्य और छोटा नागपुर पठार का इलाका बिजली गिरने के मामले में हॉटस्पॉट रहता आया.

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