हंगामे के बीच 3 तलाक बिल राज्यसभा में पेश
लोकसभा में पास होने के बाद तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश हो गया है। उच्च सदन में इस पर गर्मागर्म बहस जारी है। विपक्ष ने इस बिल को पहले सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने संशोधनों का प्रस्ताव रखा है। दूसरी ओर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसका विरोध करते हुए कहा कि संशोधन 24 घंटे पहले दिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और ठीक तीन बजे सदन में संशोधन रखे गए हैं।
also read : विश्वास का छलका दर्द..खुद को बोले शहीद
जेटली ने कहा कि आनंद शर्मा एक गलत परंपरा की नींव रखना चाहते हैं कि सदन में बहुमत वाली कोई भी पार्टी या समूह सेलेक्ट कमिटी के सदस्यों का नाम तय कर सकती है। उन्होंने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि आपने एक सदन में बिल का समर्थन किया और दूसरे सदन में आप इसे पास होने से रोकना चाहते हैं।
आनंद शर्मा ने रखा संशोधनों का प्रस्ताव
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विपक्षी पार्टियों के सदस्यों के नाम सभापति को दिए जो सेलेक्ट कमिटी में होंगे। इनमें तीन कांग्रेस के थे। शर्मा ने कहा कि सरकार अपने सदस्यों के नाम सुझाए। कांग्रेस नेता का कहना था कि ये सेलेक्ट कमिटी बजट सत्र के दौरान अपने सुझाव सौंपेगी। उनका कहना था कि सरकार पहले संशोधनों को स्वीकार करें और फिर बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजें।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया बिल
इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पेश किया। प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया और राज्यसभा में इसे रोकना चाहती है। बता दें कि ये विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है और राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण इसे पारित कराना मोदी सरकार के लिए चुनौती हो सकती है।
also read : खाकी के रौब में अंधे पुलिसवालों ने दलित से चटाया जूता
संसद का शीतकालीन सत्र अपने अंतिम पड़ाव में है और इसमें मोदी सरकार मौजूदा सेशन का सबसे महत्वपूर्ण बिल पास कराने की कोशिश में है। मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा तीन तलाक बिल लोकसभा से पास हो चुका है। सरकार इस बिल को राज्यसभा में पास कराने के बाद जल्द से जल्द राष्ट्रपति की अनुमति के बाद कानून की शक्ल देने के मूड में है। लेकिन राज्यसभा में बीजेपी अल्पमत है। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों की तरफ से सरकार को सहयोग का कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला कि वह इस बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने या फिर इसमें कुछ संशोधन करने के लिए सदन में दबाव नहीं डालेंगे।
‘कांग्रेस न लाए संशोधन’
हालांकि, मंगलवार को सरकार ने कांग्रेस से अनुरोध किया कि मुस्लिम महिलाओं को एक बार में तीन तलाक कहे जाने के चलन को फौजदारी अपराध बनाने के प्रावधान वाला विधेयक जब राज्यसभा में आए तो वह किसी संशोधन पर जोर न दे। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार चाहेगी कि कांग्रेस संशोधन पर बल नहीं देने के अपने उसी रुख पर कायम रहे जो उसने लोकसभा में अपनाया था। सरकार अब इस कोशिश में लगी है कि बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने से रोकने के लिए अगर विपक्ष के कुछ छोटे मोटे सुझाव और संशोधन मानने की जरूरत पड़े तो उसे मान लिया जाए ताकि बिल जल्द से जल्द पास हो सके। अगर राज्यसभा इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का फैसला देती है तब यह बिल बजट सत्र में ही पास हो सकेगा।
क्या है विपक्ष का रुख?
कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, डीएमके समेत कई विपक्षी दल ऐसे हैं जो सीधे सीधे इस बिल का विरोध तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन चाहते हैं कि इस पर और विचार विमर्श करने के लिए इसे राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। इन विपक्षी पार्टियों का तर्क है कि इस दिल में तीन तलाक की हालत में पति को 3 साल तक के लिए जेल भेजने का जो प्रावधान है वह गैर जरूरी है। इससे मामला सुलझने के बजाय और ज्यादा उलझ जाएगा। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सिविल मामले को क्रिमिनल मामला बनाना ठीक नहीं है, क्योंकि ऐसे कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है। हालांकि, सरकार की दलील है कि यह बेहद छोटा सा कानून है जोकि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर बनाया जा रहा है और इसमें हर स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम किए गए हैं।
(aajtak)
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)