देर तक सोने वाले हो जाएं सावधान, ये आदत कर सकती है आपको बहुत बीमार…

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आपने बचपन में घर के बड़े-बुर्जुगों से सुना होगा कि, जो रात को जल्दी सोए और सुबह को जल्दीे जागे उससे दूर – दूर दुनिया का दुख भागे. लेकिन आजकल की भागती-दौड़ती जीवनशैली की वजह से सोने-जागने के इन नियमों का पालन करना आसान नहीं है. आजकल लोगों की दिनचर्या में काफी बदलाव हो गया है. रात में काम करने वाले लोग देर से सोते हैं और फिर सुबह देर से सोकर उठते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, इस दिनचर्या से आपकी सेहत कैसे प्रभावित होती है? डॉक्टरों का कहना है कि, देर से सोकर उठने वाले लोगों में दिल, दिमाग और पेट की कई बीमारियां होती हैं.

वहीं एक शोध में पाया गया है कि, जो लोग रात 9 बजे या 10 बजे सोते है, उन लोगों में 6 साल में मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक रहती है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के एक अध्ययन के अनुसार, अधिक सोने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी हो सकती है, इसलिए जो लोग मिड डे नैप 90 मिनट से अधिक लेते हैं, उनमें 25 प्रतिशत तक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

देर तक सोने से हो सकती है ये बीमारियां

मानसिक स्वास्थ्य में कमी

सुबह देर तक सोने वाले लोगों की मानसिक स्थिति खराब हो सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि, ऐसा करने वालों में डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग जैसी समस्याएं ज्यादा हो सकती हैं.

मोटापा

लंबे समय तक सोने वालों का मेटाबॉलिक रेट कम होता है, जिसकी वजह से उन्हें खाने के बाद कैलोरी बर्न करना मुश्किल होता है. जिससे शरीर में फैट जमा होने लगता है, जिससे वे मोटापे का शिकार हो सकते हैं. एक दिन में आठ घंटे की नींद पर्याप्त है. ओवरस्लीपिंग करने से वजन बढ़ने लगता है.

पाचन समस्याएं

सुबह देर तक सोते रहने से पाचन भी खराब हो सकता है, इससे बाउल की गति धीमी हो जाती है. जो पाइल्स और कॉन्स्टिपेशन की समस्या को जन्म दे सकता है.

ब्लड प्रेशर

हाई ब्लड प्रेशर अधिकतर देर तक सोने वालों को होता है। स्लीप फाउनडेशन के अनुसार, जो लोग 9 घंटे से अधिक सोते हैं, वे किसी न किसी सेहत समस्या से पीड़ित होते हैं. दरअसल, सुबह देर तक सोने वालों को धूप नहीं मिल पाती है, जिससे उनके शरीर के हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं. जिससे कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर का स्तर भी बढ़ सकता है, जो अंततः दिल की कई गंभीर बीमारियों का संकेत देता है.

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डिप्रेशन

एनसीबीआई की एक अध्ययन के अनुसार, अधिक सोने वाले लोगों में डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है. डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में से 15 प्रतिशत अधिक सोते हैं, इस समस्या से बचने के लिए आपको अपने सोने की मात्रा पर नियंत्रण रखना चाहिए.

 

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