बाबरी मस्जिद के नीचे हैं मंदिर के अवशेष… मालूम था ये राज

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अयोध्या के विवादित स्थल को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रधान सचिव डॉक्टर योगेंद्र नारायण ने अपनी किताब बॉर्न टू सर्व (Born to serve) में दावा किया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने की जानकारी थी। डॉक्टर योगेंद्र नारायण ने जी न्यूज से बातचीत में कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की रिपोर्ट के हवाले से पीवी नरसिम्हा राव को पहले से मालूम था कि अयोध्या में जिस जगह बाबरी मस्जिद है, वहां पहले मंदिर था।

यह बैठक करीब एक घंटे चली थी

यूपी कैडर के इस बड़े अधिकारी ने उन दिनों की घटना की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यूपी में तनाव के हालात बनने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बीच बैठक हुई थी। यह बैठक करीब एक घंटे चली थी।

राम मंदिर विवाद के अहम पड़ाव

योगेंद्र नारायण ने कहा, ‘पीवी नरसिम्हा राव के साथ करीब एक घंटे की बातचीत के बाद कल्याण सिंह ने लौटते ही मुझे बताया था कि जानते हो योगेंद्र, नारायण नरसिम्हा राव को पहले से पता है कि बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष मिले हैं। उन्होंने कहा कि पूरी जानकारी होने के बाद भी नरसिम्हा राव ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की उस रिपोर्ट को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया था। डॉ योगेंद्र नारायण उत्तर प्रदेश कैडर के 1965 बैच सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस ) अधिकारी हैं। राम मंदिर विवाद के अहम पड़ाव।

1528 : अयोध्या में मुगल शासक सम्राट बाबर ने मस्जिद बनवाई थी जिस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।

1853 : अंग्रेजों के शासनकाल में पहली बार अयोध्या में सांप्रदायिक दंगे हुए।

1859 : अंग्रेजों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी।

1949 : भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गयीं। दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर किया जिसके यहां ताला लगा दिया गया।

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1984 : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेतृत्व में राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया गया।

1986 : जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे पर से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया।

1989 : विहिप ने राम मंदिर निर्माण के लिए विवादित स्थल के नजदीक राम मंदिर की नींव रखी।

1992 : विहिप, शिव सेना और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देश भर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।

2001 : अटल सरकार के समय बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया और विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने के अपना संकल्प दोहराया।

जनवरी 2002 : अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया।

फ़रवरी 2002 : विहिप ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। अयोध्या से लौट रहे कारसेवक जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए।

13 मार्च, 2002 : सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट के फैसले को माना जाएगा।

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मार्च 2003 : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया।

अप्रैल 2003 : इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते जुलते अवशेष मिले हैं।

मई 2003 : सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के ख़िलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए।

अगस्त 2003 : भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए।

अप्रैल 2004 : आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा।

जनवरी 2005 : लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया।

जुलाई 2005 : 5 हथियारबंद चरमपंथियों ने विवादित परिसर पर हमला किया जिसमें 5 चरमपंथियों सहित छह लोग मारे गए, हमलावर बाहरी सुरक्षा घेरे के नज़दीक ही मार डाले गए।

30 जून 2009 : बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी।

24 नवंबर, 2009: लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश। आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी।

सितंबर, 2010: रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी। हाईकोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया।।
2011 : सुप्रीम कोर्ट नें हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया।

(साभार-जी न्यूज)

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