कर्ज लेकर विदेश भागने वालों की जब्त होगी संपत्ति, ऑर्डिनेंस को मंजूरी

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आर्थिक अपराध कर देश छोड़कर भागने वाले अपराधियों(criminals) की संपत्ति अब जब्त की जा सकेगी। सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग में इस संबंध में ऑर्डिनेंस को मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति की सहमति के बाद इस पर मुहर लग जाएगी। गौरतलब है कि लोकसभा में 12 मार्च को भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल 2018 पेश किया गया था, लेकिन संसद में हंगामे के चलते यह बिल पास नहीं हो पाया। विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे मामले सामने आने के बाद सरकार ने यह फैसला लिया था।

इन लोगों की संपत्ति होगी जब्त

ऑर्डिनेंस के प्रावधान उन आर्थिक अपराधियों पर लागू होंगे, जो कर्ज लेने के बाद देश वापस लौटने से इनकार करते हैं, जिनके खिलाफ निर्धारित अपराध के लिए गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया गया है और जो 100 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया के साथ लोन डिफॉल्टर्स की लिस्ट में शामिल हैं।

बिना किसी इजाजत के जब्त होगी संपत्ति

इस प्रावधान के तहत, बिना किसी इजाजत के अपराधियों की संपत्ति जब्त कर और उन्हें बेचकर उधारदाताओं को भुगतान किया जा सकेगा। ऐसे आर्थिक अपराधियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) के तहत मुकदमा चलेगा। भगोड़ा आर्थिक अपराधी वह व्यक्ति है, जो अभियोजन का सामना करने से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गया है और वापस आने से इनकार कर रहा है।

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स्पेशल कोर्ट के सामने भगोड़ा घोषित करने की मांग करना होगी

ऑर्डिनेंस के मुताबिक, डायरेक्टर या डेप्युटी डायरेक्टर (पीएमएलए, 2002 के तहत नियुक्त) स्पेशल कोर्ट के सामने किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की मांग कर सकता है। इस मांगपत्र में इस बात की भी दलील देनी होगी कि उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी क्यों घोषित किया जाए।

6 हफ्ते के भीतर पेश होने का दिया जाएगा समय

इस मांगपत्र के बाद स्पेशल कोर्ट उस व्यक्ति को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते के भीतर पेश होने के लिए कहेगा। यदि वह व्यक्ति कोर्ट के बताए समय पर पेश हो जाता है कोर्ट उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की मांग को खारिज कर देगा।

रेप पर मौत की सजा

बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट में इसके अलावा 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने को मंजूरी दे दी। इसके लिए जल्द ही अध्यादेश जारी होगा। इसे मंजूरी के लिए अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। कैबिनेट ने रेप के मामलों में तेज जांच और सुनवाई की समयसीमा भी तय कर दी है।

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